बांदा-चित्रकूट में बनाए जाएंगे 14 हजार नए फ्लैट्स, दो योजनाओं को मिली मंजूरी… 2,284 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी
उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने बांदा और चित्रकूट में 14 हजार से ज्यादा आवासीय फ्लैटों की दो बड़ी योजनाओं को मंजूरी दी है. बांदा में लगभग 9,500 और चित्रकूट में 4,450 फ्लैट बनाए जाएंगे. इन फ्लैट्स को बनाने में लगभग 1390 और 894 करोड़ रुपये की लागत आ सकती है. यहां पर अनियमितताओं में शामिल तीन इंजीनियरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. उनपर कार्रवाई करते हुए उनकी पेंशन रोक लगा दी गई है. इसको लेकर विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.

उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने बांदा और चित्रकूट जिलों में नई आवासीय योजनाओं को मंजूरी दी है. परिषद् की 272वीं बोर्ड बैठक में 30 प्रस्तावों में से 26 को पास किया है. दो जिलों में 14 हजार से ज्यादा आवासीय फ्लैट को बनाया जाएगा. इसके साथ ही अवैध निर्माण और अनियमित भुगतान में लिप्त इंजीनियरों पर सख्त कार्रवाई की गई है, जिसमें पेंशन पर रोक और विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं.
बांदा जिले के मवई गांव के बुजुर्ग में 136.76 हेक्टेयर (337.94 एकड़) क्षेत्र में एक विशाल आवासीय योजना को लाया जाएगा. इस परियोजना के तहत लगभग 9,500 आवासीय फलेट को बनाया जाएगा. इसको बनाने में लगभग 1,390 करोड़ रुपये की लागत लगेगी. आवास विकास परिषद के सचिव नीरज चोपड़ा ने बताया कि धारा-28 के तहत भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी करने का प्रस्ताव स्वीकार किया जा चुका है. यह योजना बांदा में आवासीय ढांचे को मजबूत करेगी.
ये स्थानीय लोगों को आधुनिक आवास सुविधाएं भी देगी. चित्रकूट में 4,450 यूनिट्स का निर्माण किया जाएगा. चित्रकूट जिले के चकला राजरानी, अहमदगंज में 64.894 हेक्टेयर भूमि पर एक दूसरी आवासीय योजना को मंजूरी दी गई है. इस योजना के तहत 4,450 आवासीय फ्लैट बनाया जाएगा. इसको बनाने में लगभग 894.68 करोड़ रुपये की लागत आ सकती है. इसके लिए भी धारा-28 के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी. इस परियोजना से वहां के लोगों की घरों की कमी को दूर किया जा सकेगा. साथ ही ये शहरी विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएगी.
दोषी इंजीनियरों की मुश्किलें बढ़ीं
आवास विकास परिषद की ओर से अनियमितताओं पर सख्त रुख अपनाया गया है. यहां तीन इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इलाहाबाद में तैनात रहे इंजीनियर नारायण प्रसाद ने ठेकेदार से बिना काम कराए 41 लाख रुपये का पेमेंट किया था. 2021 में रिटायर हो चुके नारायण प्रसाद को जांच में दोषी पाया गया.
इस वजह से उनकी पेंशन पर रोक लगा दी गई है. इसी तरह, गाजियाबाद में काम कर रहे इंजीनियर दिनेश पाल सिंह और अधिशासी अभियंता सुनील कुमार सिंह पर अवैध निर्माण में शामिल होने के आरोप साबित हुए हैं. परिषद् ने दोनों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी है और उनकी पेंशन को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है.



