वीडियो देखकर प्रैक्टिस, क्राउड फंडिंग… कौन हैं नीतू जिन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में जीता गोल्ड?
यूपी के फतेहपुर की रहने वाली नीतू सिंह ने दुबई में आयोजित एशियाई योगासन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा जमा लिया है. उनका परिवार बेहद गरीबी के हालात में रह रहा है. इसके बावजूद क्राउड फंडिंग और वीडियोज के जरिए प्रैक्टिस करके उन्होंने ये सफलता हासिल की है.

यूपी के फतेहपुर जिले के मिराई गांव की रहने वाली 19 साल की नीतू सिंह ने UAE में आयोजित एशियाई योगासन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया है. उनकी ये जीत इसलिए भी काफी अहम हो जाती है क्योंकि बेहद गरीब परिवार से आने वाली नीतू को किसी प्रकार का औपचारिक प्रशिक्षण नहीं मिला है. फोन पर वीडियोज देखकर वे अपनी प्रैक्टिस करती थीं. नीतू की फैमिली की आर्थिक स्थिति एकदम अच्छी नहीं है. 5 बहनें में वे सबसे छोटी हैं. इस सफलता के बाद उनकी निगाहें ओलंपिक पर टिकी हुई हैं.
कई देशों के एथलीट्स को पछाड़ा
उनके पिता ने क्राउड फंडिंग के जरिए पैसे जुटाए थे ताकि बेटी जायद स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकें. ये चैंपियनशिप क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन हमद अल शर्की के संरक्षण में और एशियाई योगासन खेल महासंघ (AYSF) के सहयोग से होता है. इसमें चीन, श्रीलंका, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल और ईरान सहित कई देशों के एथलीट भाग लेते हैं.
किया उत्कृष्ट प्रदर्शन
नीतू ने लयबद्ध जोड़ी योग में स्वर्ण पदक जीता, जहां उन्होंने अपनी सटीक योगासन और लचीलेपन के मानकों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. ये आयोजन एशिया के प्रमुख योग प्रतिस्पर्धाओं में से एक है, जो एथलीटों को वैश्विक मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर देता है. उनकी इस जीत की चर्चा न केवल उनके गांव में बल्कि पूरे जिले और उत्तर प्रदेश में हो रही है. उनके इस प्रयास को काफी सराहा जा रहा है.
सपनों को नहीं रोक पाई गरीबी
नीतू ने अपनी मेहनत और लगन से एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि संसाधनों की कमी सपनों को रोक नहीं सकती. उनके पिता ने जिस गरीबी के हालातों में भी उनका हर तरीके से सहयोग किया ताकि बेटी ने अपना लक्ष्य हासिल कर सके. नीतू का कहना है कि वो ओलंपिक में भी भाद लेना चाहती हैं.
रिपोर्ट- महेश सिंह