नारायण के सुदर्शन से कटकर शिव की नगरी में गिरे थे माता सती के कर्णफूल, क्या है विशालाक्षी शक्तिपीठ की कहानी?

मां विशालाक्षी मंदिर का पुराणों के हिसाब से भी खास महत्व है. कुंवारी कन्याओं के लिए देवी का दर्शन बेहद फलदायी सिद्ध होता है. माना जाता है कि अगर किसी भी कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो तो 41 दिनों तक मां विशालाक्षी का दर्शन करना चाहिए.

मां विशालाक्षी मंदिर

शारदीय नवरात्रि का आज दूसरा दिन है. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. नवरात्र को देखते हुए देशभर के शक्तिपीठों में भारी भीड़ जुट रही है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के चक्र से कटकर देवी सती के अंग पृथ्वी पर जहां-जहां गिरे वे सभी स्थान शक्तिपीठ कहलाए. इन्हीं में एक शक्तिपीठ वाराणसी में भी है. इस शक्तिपीठ को मां विशालाक्षी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

देवी पुराण में भी 51 शक्तिपीठों में मां विशालाक्षी का जिक्र है. बाबा विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित इस मंदिर में देवी की दो प्रतिमाओं का दर्शन करने को मिलता है. इनमे एक प्रतिमा पुरानी है और एक नहीं, जिन्हें चल और अचल माना जाता है. आपको मां विशालाक्षी के निर्माण में दक्षिण भारतीय शैली नजर आएगी. इसलिए इस मंदिर को दक्षिण भारत वाली माता के नाम से भी जाना जाता है.

कुंवारी कन्याओं के लिए मां का दर्शन फलदायी

कुंवारी कन्याओं के लिए मां विशालाक्षी का दर्शन बेहद फलदायी साबित होता है. मान्यता है कि अगर किसी कन्या के विवाह में दिक्कत आ रही है, को उसे 41 दिनों तक मां विशालाक्षी का दर्शन करना चाहिए. उनकों हल्दी और कुमकुम अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से उनके विवाह में आ रही अड़चन समाप्त हो जाएगी और उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी.

विशालाक्षी मंदिर में विश्राम के लिए आते हैं बाबा विश्वनाथ

मां विशालाक्षी मंदिर के बारे में एक मान्यता ये भी है कि यहां प्रत्येक रात्रि को विश्राम करने क लिए बाबा विश्वनाथ भी पधारते हैं. इसलिए आप देखेंगे इस मंदिर में मां विशालाक्षी के साथ-साथ विशालाक्षेश्वर महादेव का शिवलिंग भी है. बाबा विश्वनाथ इसी शिवलिंग में मौजूद रहते हैं. देवी और बाबा विश्वनाथ दोनों का साथ में दर्शन भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है.

अन्न की देवी भी हैं मां विशालाक्षी

स्कंद पुराण कथा के मुताबिक मां विशालाक्षी नौ गौरियों में पंचम गौरी हैं. उन्हें मां अन्नपूर्णा भी कहा जाता है. दरअसल जब ऋषि व्यास को वाराणसी में कोई भी भोजन नहीं दे रहा था, तब मां विशालाक्षी एक गृहिणी की भूमिका में प्रकट हुईं और ऋषि व्यास को भोजन दिया. ऐसे में उन्हें अन्न की देवी भी कहा जाने लगा.

नवरात्रि के 5वें दिन मां का दर्शन करने से पाप कट जाते हैं

मां को शुद्ध सात्विक चावल दाल का भोग लगता है. इसके साथ मां का पसंदीदा पुष्प कमल, दौना और गुलाब है. भक्त यहां मां को 16 श्रृंगार के सामान संग हल्दी, कुमकुम अर्पित करते हैं. देवी का दर्शन करने से आपकी सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है. नवरात्र के 5वें दिन मां का दर्शन करने से अबतक हुए सारे पाप भी कट जाते हैं.