महाकाल का भक्त बनने के लिए बदला धर्म; असद खान काशी में बन गए ‘अथर्व त्यागी’
मध्य प्रदेश के सागर का रहने वाला असद खान ने वाराणसी में सनातन धर्म अपना लिया है. अब वह असद खान से अथर्व त्यागी बन गया है. असद खान का कहना है कि महाकालेश्रर का भक्त है. एक बार वह महाकालेश्वर का दर्शन करने गया था. लेकिन मु्स्लिम होने के चलते उसे मंदिर में एंट्री नहीं मिली. ऐसे में उसने सनातन धर्म अपनाकर महाकालेश्वर का दर्शन करने का फैसला कर लिया था.
मध्य प्रदेश के सागर के रहने वाले असद खान अब अथर्व त्यागी बन गए हैं. उन्होंने काशी के गंगा घाट पर सनातन धर्म अपना लिया. इस दौरान 11 ब्राह्मणों ने गायत्री मंत्र और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उन्हें सनातन धर्म का संकल्प दिलाया. बता दें अथर्व त्यागी सिविल इंजीनियर हैं.
जानकारी के मुताबिक वह एक महाकालेश्वर मंदिर गए लेकिन उसका आईडी कार्ड देखने के बाद उन्हें एंट्री नहीं दी गई. इसके बाद उन्हों सनातन धर्म अपनाने का ठान लिया. उन्होंने फैसला कर लिया कि वह अब सनातन धर्म अपनाने के बाद ही महाकालेश्वर मंदिर जाएगा.
असद खान ने बताया क्यों अपनाया सनातन धर्म?
असद खान के मुताबिक उन्हें अपने महाकालेश्वर से मिलना था. इस बीच बंग्लादेश की घटना नें उन्हें बहुत आहत किया. फिर उन्हेंने सोच लिया कि मुझे किसी भी कीमत पर सनातन धर्म का हिस्सा बनना है. इसके लिए घरवालों से बात की लेकिन वह बिल्कुल तैयार नहीं थे. उन्होंने मेरे सामने परिवार या सनातन धर्म में से किसी एक तो चुनने की शर्त रख दी. फिर मैंने सनातन धर्म को चुन लिया.
सनातन में शामिल होने के लिए काशी को चुना
असद ने सनातन धर्म अपनाने के लिए कई देव स्थान के लोगों से बात की . अंत में काशी को इसके लिए चुना. यहां के आलोक योगी से संपर्क किया उनसे सनातन धर्म में शामिल होने की इच्छा जताई. फिर उनके बुलाने पर काशी चला आया. अब मैंने अपने मूल परिवार यानी कि सनातन परिवार में अपनी वापसी कर ली है.
कैसे की सनातन में वापसी?
असद खान ने बताया कि अस्सी घाट से 11 ब्राह्मणों के साथ आलोक योगी जी मुझे नाव पर बिठा कर बीच गंगा में ले गए . वहां मेरा मुंडन संस्कार हुआ. इस बीच 11 ब्राह्मणों ने गायत्री मंत्र और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ही मुझसे संकल्प कराया. एक घंटे की प्रक्रिया में पूरे तरीके से मुझे सनातन धर्म में शामिल कराया गया.
अब 100 करोड़ हिंदू मेरा परिवार
परिवार के त्यागने की बात पर असद खान ने कहा कि अब 100 करोड़ हिंदुओं वाला सनातन परिवार ही मेरा अपना परिवार है. मैंने अपने परिवार को त्याग दिया है. अब उनसे मेरा कोई संबंध नहीं है. असद खान के मुताबिक वह बचपन से ही मंदिरों और भजनों का दीवाना था. मंदिर जाकर एकांत में बैठना उसे पसंद था. वह महाकालेश्वर का भक्त हो गया था. लेकिन मुसलमान होने के चलते उसे मंदिरों में प्रवेश नहीं मिलता था.