UP के शहरों में जर्जर मकानों की जगह बनेंगी हाई-राइज बिल्डिंग्स, योगी सरकार का मेगा प्लान

प्रदेश के पुराने शहरी इलाकों में सैकड़ों प्राइम लोकेशन पर जर्जर भवन पड़े हैं. इनके पुनर्विकास से हजारों नए फ्लैट्स बनेंगे. इससे बड़ी संख्या में लोगों का अपना फ्लैट होने का सपना पूरा होगा. साथ ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी विकास आएगी.

यूपी में हाई राइज बिल्डिंग

उत्तर प्रदेश के शहरों की तस्वीर बदलने वाली है. लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर जैसे शहरों में दशकों से खतरनाक बनी जर्जर इमारतों को हटाया जाएगा. योगी सरकार प्रदेश में पहली बार व्यापक “शहरी पुनर्विकास नीति” ला रही है. इसके तहत 25 साल से पुराने खतरनाक भवनों को तोड़कर उनकी जगह मॉर्डन हाई-राइज बिल्डिंग्स बनाई जा सकेंगी. वह भी रिकॉर्ड समय में मंजूरी और भारी छूट के साथ.

क्या है नई नीति की खास बातें?

यह योजना कम से कम 1500 वर्ग मीटर जमीन पर ही लागू होगी. 25 साल या उससे ज्यादा पुरानी इमारतें इसके अंदर आएंगी. साथ ही दायरे में स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर तुरंत मंजूरी मिलेगी. इसके अलावा एकल मकान या लीज वाली जमीन पर इस योजना का क्रियान्वन नहीं किया जा सकेगा. इन इमारतों को मिश्रित भू-उपयोग (रिहायशी + कमर्शियल) की पूरी छूट होगी. इसके अलावा डेवलपमेंट चार्ज में 50% तक का भारी डिस्काउंट मिलेगा. प्रभाव शूल्क में भी 25 प्रतिशत का छूट मिलेगा. इन हाई राइज बिल्डिंग में 15% EWS और 10% LIG फ्लैट्स होंगे. ये प्रोजेक्ट शहरों की सूरत और अर्थव्यवस्था दोनों बदलेगी.

अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा

आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के पुराने शहरी इलाकों में सैकड़ों प्राइम लोकेशन पर जर्जर भवन पड़े हैं. इनके पुनर्विकास से हजारों नए फ्लैट्स बनेंगे. खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए. इससे शहरों की खूबसूरती लौटेगा. अरबों रुपये का नया निवेश आएगा. स्थानीय अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा. बंद पड़े कारखानों पर भी खुलेगा रास्ता. इसके तहत तीन साल से बंद या बीमार घोषित उद्योगों की जमीन पर भी नई इमारतें बनाने की अनुमति मिल सकेगी. शहर के बीचोबीच फंसे ऐसे कारखानों को बाहर शिफ्ट करके उनकी जगह मल्टी-स्टोरी रिहायशी-वाणिज्यिक कॉम्प्लेक्स बनाए जाएंगे.

गुजरात-मध्यप्रदेश की तर्ज पर UP का मॉडल

महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में पहले से चल रही इसी तरह की नीतियों से वहां हजारों पुरानी सोसाइटी और इमारतों का कायाकल्प हो चुका है. गुजरात में तो को-ऑपरेटिव सोसाइटी के पुनर्विकास के लिए अलग से पॉलिसी है, जिससे लोगों को बड़ा फायदा हुआ है.अब उत्तर प्रदेश भी उसी रास्ते पर तेजी से बढ़ रहा है. योगी सरकार का यह कदम न सिर्फ शहरों को सुरक्षित और सुंदर बनाएगा, बल्कि आम आदमी को सस्ते मकान उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा कदम साबित होगा. जल्द ही कैबिनेट की मुहर लगते ही उत्तर प्रदेश के शहर नई ऊंचाइयों को छूने लगेंगे.