मर्डर का आरोप, जेल में खप गई पूरी जवानी; 38 साल सजा काटने के बाद हाईकोर्ट ने माना बेकसूर… हैरान कर देगी कहानी

बुलंदशहर में 82 वर्षीय ओंकार सिंह को 38 साल जेल काटने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप से बरी कर दिया है. भरी जवानी में उन्हें पुलिस ने हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इसके बाद ट्रॉयल कोर्ट ने साल 1987 में उम्रकैद की सजा भी सुना दी. हालांकि हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी और विरोधाभासी गवाहियों के कारण उन्हें बेकसूर माना है.

38 साल जेल काटने के बाद अब मिला न्याय

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 38 साल से जेल में बंद एक 82 साल के बुजुर्ग को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेकसूर माना है. इस बुजुर्ग को भरी जवानी में हत्या के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. यही नहीं, साल 1987 में ट्रायल कोर्ट ने इस व्यक्ति को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा भी सुना दी. हालांकि बुजुर्ग की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबी सुनवाई हुई और आखिरकार हाईकोर्ट ने उन्हें बेकसूर करार देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया है.

यह मामला बुलंदशहर के अहमदगढ़ कस्बे से सटे सतबरा गांव का है. इस गांव में रहने वाले रामजीलाल के घर में 10 फरवरी 1985 की रात शादी समारोह का आयोजन किया गया था. उसी समय गांव में शोर मचा कि कुछ हथियारबंद बदमाश घुस आए हैं. ऐसे में रामजीलाल के घर और आसपास उजाले के लिए जल रहीं लालटेन बंद कर दिए गए. ऐसी स्थिति में चारों ओर अंधेरा छा गया. तभी गोलियों की आवाज गूंजने लगी रामजी लाल का भतीजा राजेंद्र भी मौके पर पहुंचा.

उसी समय हुई थी तीनों आरोपियों की अरेस्टिंग

इस दौरान बदमाशों की फायरिंग में एक गोली राजेंद्र के कंधे पर लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी. मृतक राजेंद्र के परिजनों ने पुलिस को दिए शिकायत में बताया था कि बदमाश उसके गांव के ही रहने वाले थे. उन्होंने बदमाशों की पहचान वीरेंद्र, ओंकार और अजब सिंह उर्फ बाली के रूप में कराई थी. बताया था कि राजेंद्र को बदमाश वीरेंद्र ने गोली मारी थी. पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया और इन तीनों को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

दो साल में हो गई थी सजा

मामले की सुनवाई करते हुए ट्रॉयल कोर्ट ने 2 दिसंबर 1987 को तीनों आरोपियों को दोषी माना और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुना दी. हालांकि तीनों आरोपियों ने ट्रॉयल कोर्ट में खुद को बेकसूर होने की बात कही, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई. ऐसे में तीनों अपील लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए. हालांकि सुनवाई के दौरान ही आरोपी वीरेंद्र और अजब सिंह उर्फ बाली की मौत हो गई. इसकी वजह से इनकी अपील खारिज हो गई. वहीं तीसरे आरोपी ओंकार की अपील पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने अब फैसला दिया है.

हाईकोर्ट में साबित नहीं हुए आरोप

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ओंकार को दोषमुक्त घोषित किया है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने ऐसा कोई सबूत नहीं पेश किया है, जिससे आरोपी को दोषी माना जा सके. वहीं गवाह भी मृतक के परिवार के ही हैं, इनके बयान में भी काफी विरोधाभाष है. इसलिए भी यह मामला संदिग्ध है. कोर्ट ने एफआईआर पर भी सवाल उठाया. कहा कि घटना रात में हुई, लेकिन पुलिस में शिकायत सुबह दी गई. इस देरी का कोई उचित कारण भी नहीं बताया गया है. इसी प्रकार हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले और सजा को रद्द कर दिया है.

आखिर उस रात हुआ क्या था?

हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद TV9UP की टीम गुरुवार को ओंकार सिंह के घर पहुंची. वहां उनके चचेरे भाई फतेह सिंह ने बताया कि उस रात की पूरी कहानी बयां की. कहा कि उस दिन शादी समारोह के बीच बदमाशों के आने की खबर पर गांव के सभी लोग लाइसेंसी हथियार लेकर पहुंच गए थे. इस दौरान राजेंद्र भी कमरे के अंदर से फायर कर रहा था. गांव के लोग भी फायर कर रहे थे. इसी दौरान एक गोली राजेंद्र को लगी और उसकी मौत हो गई थी. वहीं मृत आरोपी वीरेंद्र की पत्नी श्रीमती ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है. वहीं जब मृतक राजेंद्र के घर पहुंची तो पता चला कि उनका परिवार गांव से पलायन कर चुका है.

रिपोर्ट: सुमित शर्मा, बुलंदशहर