चलती ट्रेन से पत्नी-बेटी को दिया था धक्का, 5 साल बाद पति को मिली ये सजा; हैरान कर देगी हैवानियत की कहानी
इटावा में पत्नी और मासूम बेटी की निर्मम हत्या करने वाला सिविल इंजीनियर चंदन राय चौधरी आखिरकार कानून के हत्थे चढ़ गया. इस मामले में इटावा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उसे दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. आरोपी ने 2020 में चलती ट्रेन से पत्नी और बच्ची को धक्का दे दिया था, जिससे दोनो की मौत हो गई थी. पुलिस की जांच में अवैध संबंधों की बात सामने आई. डिजिटल साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के बाद कोर्ट ने इस मामले में आरोपी को सुनाते हुए एसी घटनाओं को मानवता के लिए धब्बा करार दिया.

इटावा में पत्नी और मासूम बेटी की निर्मम हत्या के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सिविल इंजीनियर चंदन राय चौधरी को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. कोर्ट का ये फैसला न केवल न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि समाज को यह भी स्पष्ट संदेश देता है कि अपराध कितना भी सोच-समझकर क्यों न किया गया हो, कानून की पकड़ से कोई नहीं बच सकता.
क्यों की हत्या?
घटना वर्ष 2020 की है, जब आरोपी चंदन राय ने मगध एक्सप्रेस में सफर करते वक्त अपनी पत्नी पोरवी गांगुली और एक साल की मासूम बेटी शालिनी को चलती ट्रेन से फफूंद स्टेशन के पास धक्का दे दिया था. दोनों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी. शुरुआती जांच में ये एक सामान्य हादसा लग रहा था, लेकिन जब पुलिस ने पड़ताल की तो धीरे- धीरे सारी परतें खुलने लगीं. आखिरकार पुलिस इस मामले को हल करने में कामयाब रही. अब इस मामले में आरोपी को सजा मिली है.
किसी और के साथ भी था रिलेशन
पुलिस जांच में ये सामने आया कि आरोपी किसी अन्य महिला के साथ रिलेशन में था. इसी वजह से वह पत्नी और बेटी को रास्ते से हटाना चाहता था. हत्या के बाद चंदन ने सबूत मिटाने की भी कोशिश की. उसने पत्नी का मोबाइल तोड़कर रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया, लेकिन उससे गलती ये हो गई कि वह मृतका का सिम कार्ड अपने फोन में इस्तेमाल करता रहा.
डिजिटल सबूत साबित हुए अहम
सरकारी वकील शिवकुमार शुक्ला के मुताबिक इसी डिजिटल साक्ष्य के जरिए पूरी कहानी का पर्दाफाश हुआ. कॉल डिटेल्स और मोबाइल लोकेशन के जरिए पुलिस को चंदन की हरकतों का पता चला. यही इलेक्ट्रॉनिक सबूत आरोपी को कोर्ट में सजा दिलाने के लिए अहम साबित हुए. पोरवी के पिता प्रदोष गांगुली ने इटावा जीआरपी में दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था, जिसे बाद में हत्या की धारा में परिवर्तित किया गया. मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत में 12 ठोस गवाह और वैज्ञानिक साक्ष्य पेश किए, जिससे अभियुक्त के खिलाफ लगभग सारे आरोप साबित हो गए.
जज ने बताया मानवता के लिए धब्बा
अपर जिला जज (फास्ट ट्रैक) सुनीता शर्मा ने इस फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि ये अपराध केवल हत्या नहीं, बल्कि मानवता के नाम पर एक बदनुमा दाग है. मासूम बच्ची की हत्या ने समाज को झकझोर दिया है. इस मामले के बाद महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.
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