दुबई से सीधे लखनऊ क्यों आया मुख्तार का राइट हैंड डंपी? कैसे चढ़ा पुलिस के हत्थे? क्या बाहर आएंगे माफिया के काले कारनामे

मुख्तार अंसारी का मैनेजर डंपी दुबई से आते ही लखनऊ में गिरफ्तार हो गया. ED ने बुधवार को उसे पकड़ा था. यह खबर मिलते ही पूर्वांचल के माफिया और सफेदपोशों में खलबली मच गई है. कुछ का मानना है कि यह पुलिस की सफलता नहीं, बल्कि एक विरोधी गैंग की साजिश है जिसने डंपी को दुबई से भारत बुलाया. उसकी गिरफ्तारी से कई राज खुलने की संभावना है.

मुख्तार का मैनेजर डंपी

अंडरवर्ल्ड में डंपी के नाम से कुख्यात शादाब को ईडी ने लखनऊ पुलिस की मदद से बीते बुधवार को अरेस्ट कर लिया. डंपी पूर्वांचल में माफिया डॉन रहे मुख्तार अंसारी का मैनेजर, राइट हैंड और बेटे से भी ज्यादा भरोसेमंद था. ईडी डंपी की गिरफ्तारी को छिपा ले जाना चाहती थी. दो दिनों तक उसने मीडिया को इसकी भनक तक नहीं लगने दी. लेकिन, अंडरवर्ल्ड के लिए यह बहुत बड़ी खबर थी और यह इतनी तेजी से फैली कि पूर्वांचल में एक्टिव कई गैंग लीडर्स और सफेदपोश लोगों में हड़कंप मच गया.

वहीं पूर्वांचल में एक ऐसा भी गैंग है, जिसमें इस गिरफ्तारी पर जश्न का माहौल है. दावा तो यह भी किया जा रहा है कि इस गैंग के मुखिया ने ही डंपी को दुबई से भारत बुलाया. उसके टिकट की व्यवस्था भी इसी गैंग लीडर ने की और मुंबई के बजाय सीधे लखनऊ लैंड करने को कहा था. उसे भरोसा दिया था कि लखनऊ एयरपोर्ट से उतरते ही एक बख्तरबंद गाड़ी में गाजीपुर स्थित सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचा दिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक इस गैंग लीडर के भरोसे पर डंपी दुबई से चलकर लखनऊ पहुंच भी गया, लेकिन यहां लैंड करते ही ईडी और पुलिस की टीम ने धर दबोचा.

गिरफ्तारी पर हैरान दिखा डंपी

इस गिरफ्तारी पर डंपी खुद हैरान था कि उसकी खुफिया यात्रा की जानकारी कैसे पुलिस तक पहुंची. आइए, आज मुख्तार के गैंग में डंपी के कद-पद और अंडरवर्ल्ड में उसकी भूमिका के साथ ही उसकी इस गिरफ्तारी की पूरी कहानी को समझने की कोशिश करते हैं. शुरूआत 90 के दशक से करते हैं. उस समय पूर्वांचल में मुख्तार गैंग का काफी दबदबा कायम हो चुका था. बनारस में बृजेश सिंह भी माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे. चूंकि मुख्तार को राजनीति भी करनी थी, इसलिए उसने अपने सबसे भरोसेमंद शादाब उर्फ डंपी को मैनेजर बनाया. यह डंपी ही मुख्तार के इशारे पर उसके गैंग को ऑपरेट करता था. खासतौर पर ठेकेदारी के मामलों का डंपी ही देखा करता था.

कृष्णानंद राय हत्याकांड में भूमिका

पुलिस सूत्रों के मुताबिक गाजीपुर में विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की प्लानिंग डंपी ने ही की थी. उसके कहने पर मुख्तार ने मुन्ना बजरंगी को वारदात का ठेका दिया था. इसके बाद मुन्ना बजरंगी मुख्तार के ठेकों का काम देखने लगा. बाद में जब मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या हो गई तो मुख्तार ने डंपी को ठेकों का काम सौंप दिया. इसमें सबसे बड़ा ठेका बीएसएनएल के टावरों में डीजल सप्लाई का था. यह ठेका ही मुख्तार गैंग की आय का मुख्य श्रोत था. इसमें डंपी टॉवर में सप्लाई के नाम पर बड़े पैमाने पर डीजल चोरी कर ब्लैक मार्केट में बेचता था. फिर मुख्तार के जेल जाने के बाद कंपनी उसकी पत्नी आफशा अंसारी के नाम हो गई. ऐसे में डंपी अब खुद इस कंपनी के नाम पर ठेके लेने लगा.

सफेदपोश लोगों को क्यों हो रही चिंता?

डंपी की गिरफ्तारी से कई सफेदपोश लोगों के खेमे में हड़कंप मच गया है. अब तक बेदाग छवि लेकर घूम रहे इन लोगों को अब अपनी गर्दन भी फंसती नजर आ रही है. इसमें एक पूर्व सांसद और विधायक तो हैं ही, मुख्तार के बेटे अब्बास, पत्नी अफशां अंसारी समेत कई अन्य लोग शामिल हैं. बताया जा रहा है कि मुख्तार के जेल जाने के बाद पूर्व सांसद समेत कई अन्य लोगों ने डंपी के साथ मिलकर धंधे में मोटी रकम लगाई थी. वहीं मुख्तार की मौत के बाद यह सभी लोग अपना पैसा डूबा हुआ मानकर चुप्पी साध गए थे. ऐसे में अंडरग्राउंड रहकर डंपी उस पैसे से खेल करता रहा.

बीएसएनएल अधिकारियों की भी खुलेगी पोल

इधर, जैसे ही डंपी की गिरफ्तारी की खबर आई, इन नेताओं को चिंता हो गई है कि कहीं डंपी उनके नाम का खुलासा ना कर दे. यह चिंता इसलिए भी है कि पुलिस को पहले से इन नेताओं की करतूत की खबर है, लेकिन अब तक कोई प्रमाण नहीं था. डंपी की गिरफ्तारी से डीजल घोटाले में शामिल बीएसएनएल के अधिकारियों में भी बेचैनी है. दरअसल गाजीपुर के रहने वाले तेल चोर इमरान की मदद से डंपी ने इन अधिकारियों तक पहुंच बनाई थी और उनके साथ मिलकर ही अरबों रुपये के डीजल घोटाले को अंजाम दिया था.

दोस्त ही नहीं दुश्मनों में भी है बेचैनी

डंपी की गिरफ्तारी से मुख्तार गैंग से जुड़े लोगों में तो बेचैनी है ही, मुख्तार के धुर विरोधी खेमे में भी स्यापा पसरा हुआ है. हर कोई पता करने की कोशिश कर रहा है कि डंपी इस वक्त भारत आया ही क्यों? आशंका जताई जा रही है कि डंपी की गिरफ्तारी पूर्वांचल के एक माफिया की साजिश है. बताया जा रहा है कि डंपी इस माफिया को ब्लैकमेल कर रहा था. ऐसे में इसने डंपी को दुबई से भारत बुलाकर लखनऊ में पकड़वा दिया. कुछ लोगों को लगता है कि डंपी गाजीपुर पहुंच जाता तो कई लोगों का भांडा फूट जाता. यही वजह है कि लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरते ही ईडी को खबर देकर पकड़वाया गया.

फिर बिहार में क्यों मचा हड़कंप?

बिहार में में इस समय चुनावी माहौल है. यूपी सीमा से लगते इलाकों में एक्टिव करीब आधा दर्जन माफिया अब तक चुनाव में बिजी थे, लेकिन डंपी की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही वह चुनाव छोड़कर भूमिगत हो गए हैं. दरअसल डंपी मुख्तार के नाम से रेलवे के ठेके भी लेता था. यह ठेके वाराणसी से लगते बिहार के हिस्सों में भी थे. इन ठेकों में बिहार के कई माफियाओं ने भी पैसे लगाए थे. ऐसे में उन्हें डर है कि कहीं ईडी की पूछताछ में डंपी उनके नाम का भी खुलासा ना कर दे. फिलहाल ईडी के अधिकारियों ने डंपी को एक हफ्ते की कस्टडी रिमांड लेने की तैयारी कर ली है.

शादाब उर्फ डंपी की प्रोफाइल

मूल रूप से गाजीपुर का रहने वाला शादाब उर्फ डंपी पहले मुख्तार की गैंग IS 191 में पहले मामूली गुर्गा था. करीब पांच साल तक मुख्तार के साथ कामकर इसने ना केवल मुख्तार अंसारी का भरोसा जीत लिया, बल्कि अफशां अंसारी के साथ भी इसके अच्छे संबंध हो गए थे. इसकी वजह से मुख्तार अंसारी ने इसे अपना मैनेजर बना लिया. इसके बाद यह देश भर के माफिया से संपर्क बनाने, उनसे डील करने, ठेके फाइनल करने का काम करने लगा. वहीं मुख्तार अंसारी के जेल जाने के बाद जब मुख्तार की कंपनी उसकी पत्नी अफशां के नाम हो गई तो वह कंपनी के नाम से खुद ठेके लेने लगा था. डंपी को गाजीपुर में कृष्णानंद राय हत्याकांड से लेकर बीएसएनएल टॉवरों के लिए सप्लाई होने वाली डीजल घोटाले का मास्टर माइंड माना जाता है.