सुल्तानपुर के बाहुबली सोनू-मोनू, जिनके मर्डर के लिए अयोध्या कोर्ट में लाए गए थे हथियार; 26 साल पुरानी अदावत की कहानी
सुल्तानपुर के बाहुबली सोनू-मोनू पर अयोध्या कोर्ट में जानलेवा हमले की साज़िश नाकाम हो गई है. पुलिस ने उनके कोर्ट पहुंचने से पहले ही कोर्ट परिसर से हथियार बरामद कर लिए. सोनू मोनू पर हमले की साजिश 26 साल पहले पिता की हत्या के साथ शुरू हुई अदावत के चलते रची गई थी. इससे पहले भी सोनू मोनू पर तीन बार जानलेवा हमले हो चुके हैं.

अयोध्या कोर्ट में शनिवार को गैंगवार होने की पूरी संभावना थी. इसके लिए कोर्ट में हथियार, कारतूस और गोला बारूद पहले ही पहुंचा दिया गया था. गनीमत रही कि पहले से अलर्ट पुलिस सघन चेकिंग ऑपरेशन चलाकर अपराधियों के मंसूबों पर फेर दिया. दावा किया जा रहा है कि कोर्ट में यह हथियार बाहुबली और पूर्व विधायक इंद्र भद्र सिंह के बेटे सोनू मोनू की हत्या के लिए लाए गए थे. हालांकि इस बार भी तकदीर ने साथ दिया और लगातार तीसरी बार सोनू मोनू मौत को मात देकर सुरक्षित बाहर निकल गए हैं.
बाहुबली सोनू मोनू पर हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है. बीते 26 साल में उनके ऊपर तीन बार हमले हो चुके हैं. एक बार वह बुरी तरह जख्मी भी हुए थे. ऐसे में हमलावरों ने चौथी बार हमलाकर उनके मर्डर की फुल प्रूफ योजना बनाई थी. लेकिन इस बार पहले से एक्टिव अयोध्या पुलिस ने अपराधियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया. ऐसे में यह जान लेने का सही मौका है कि आखिर ये सोनू मोनू कौन हैं और इनके ऊपर बार बार जानलेवा हमले क्यों हो रहे हैं? कहानी 26 साल पुरानी है. आइए, इसे ठीक से समझने के लिए शुरू से शुरू करते हैं.
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26 साल पुरानी अदावत
साल 1999 में 21 जनवरी की दोपहरी थी. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में कचहरी के पास ही रहने वाले एक वकील के घर से कद्दावर नेता और दो बार के विधायक इंद्र भद्र सिंह निकल रहे थे. इतने में अचानक ही उनके ऊपर बमबारी हो गई और इस वारदात में उनकी मौत हो गई थी. पुलिस की जांच में पता चला कि विधायक इंद्र भद्र सिंह की वहां के आश्रम के महंत ज्ञानेश्वर के साथ अदावत चल रही थी और इसी अदावत में सुपारी देकर उनकी हत्या कराई गई. पुलिस ने हमलावर को पकड़ा तो उसने भी महंत ज्ञानेश्वर का नाम लिया था.
दोनों बेटों ने संभाली विरासत
इंद्र भद्र सिंह की हत्या के बाद उनकी राजनीतिक विरासत उनके दोनों बेटों चंद्रभद्र सिंह सोनू और यशभद्र सिंह मोनू ने संभाल ली. इसी के साथ पिता की अदावत भी विरासत में सोनू और मोनू को मिल गई. दोनों भाई ब्लॉक प्रमुख से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक की राजनीति में सक्रिय हैं. विधायक पिता की हत्या के बदला लेने के लिए इन दोनों बेटों ने हथियार उठाया और देखते ही देखते इनका नाम क्षेत्र के बाहुबलियों की सूची में दर्ज हो गया. हालांकि इन 26 सालों में सोनू और मोनू सिंह पर तीन बार बड़े हमले भी हुए. यह तीनों हमले इलाहाबाद (प्रयागराज ), सुल्तानपुर और फैजाबाद में हुए हैं. इन हमलों में ये गंभीर रूप से घायल हुए थे, लेकिन इनकी जान बच गई थी.
अबकी बार थी फुलप्रूफ प्लानिंग
खुद मोनू सिंह मानते है कि हमलावरों ने इस बार उनकी हत्या की फुलप्रूफ प्लानिंग की थी. 6 सितंबर यानी शनिवार को उनकी अयोध्या कचहरी में पेशी थी. उन्हें एक मामले में गवाही के लिए हाजिर होना था. घर से वह ठीक 10 बजे अयोध्या कोर्ट के लिए निकले, लेकिन थोड़ी ही देर में उनके वकील ने आने से मना कर दिया. बताया कि उनकी हत्या के लिए कचहरी में हथियार पहुंचाए गए थे, जिन्हें पुलिस ने बरामद कर लिया है. यह हथियार एक झोले में रखकर एक वकील के चैंबर में रखवाए गए थे.
2014 में भी हुआ था हमला
मोनू सिंह कहते हैं साल 2014 में भी उनकी कोर्ट में पेशी हो रही थी और उस समय उनके ऊपर कचहरी में बम फेंका गया था. उस घटना में उनके साथ ही कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. हालांकि बम फेंककर भाग रहे हमलावर को वकीलों ने ही दौड़ाकर पकड़ लिया था. TV9 भारतवर्ष से बात करते हुए मोनू सिंह ने बताया कि आज फिर अयोध्या कचहरी में उनके ऊपर हमले की साजिश रची गई थी. उधर, पुलिस ने बताया कि बरामद हथियार की जांच कराई जा रही है. पता किया जा रहा है कि वकील के चैंबर में ये हथियार किसने पहुंचाए थे.