6 पद खाली, कई दावेदार… UP में प्रदेश अध्यक्ष के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी निगाहें
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के संगठनात्मक बदलावों के बाद मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल की तैयारी है. योगी कैबिनेट में 6 खाली पदों को भरा जाना है. साथ-साथ कुछ मौजूदा मंत्रियों की विदाई भी तय मानी जा रही है. 2027 चुनावों से पहले जातीय, क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण साधने पर जोर है. डिप्टी सीएम पद पर भी अटकलें जारी हैं.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के संगठनात्मक बदलावों ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद अब निगाहें मुख्यमंत्री योगी के मंत्रिमंडल पर टिक गई हैं. पार्टी सूत्रों के अनुसार, जल्द ही मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल हो सकता है, जिसमें 6 खाली पदों को भरने के साथ-साथ कुछ मौजूदा मंत्रियों की विदाई और नए चेहरों की एंट्री की संभावना है.
वर्तमान में योगी मंत्रिमंडल में कुल 54 मंत्री हैं, जबकि संवैधानिक सीमा 60 है. इन 6 रिक्तियों को भरने का मौका पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले जातीय, क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण साधने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है. पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि दिल्ली और लखनऊ के बीच चल रही बैठकों में अंतिम रूप दिया जा रहा है, और खरमास खत्म होने के बाद (15 जनवरी 2026 के बाद आधिकारिक घोषणा हो सकती है.
भूपेंद्र सिंह चौधरी को मिल सकती है कैबिनेट में जगह
सबसे मजबूत चर्चा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी को लेकर है. जाट समुदाय के प्रमुख नेता भूपेंद्र को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए कैबिनेट में महत्वपूर्ण विभाग सौंपा जा सकता है. इससे क्षेत्रीय असंतुलन को भी दूर करने की कोशिश होगी, क्योंकि सीएम योगी और नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी दोनों पूर्वांचल से हैं.
सहयोगी दलों और बागियों को मिलेगा इनाम?
समाजवादी पार्टी से बगावत करने वाले विधायकों को साधने की रणनीति भी चल रही है. पूर्व मंत्री मनोज पांडेय (ब्राह्मण चेहरा) और पूजा पाल के नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं. क्योंकि उन्होंने योगी सरकार की कानून-व्यवस्था नीति की खुलकर तारीफ की थी. इन बागियों को मंत्री बनाकर पार्टी विपक्ष को कमजोर करने का संदेश देना चाहती है.
इसके अलावा, कुछ अन्य विधायकों को भी जगह मिल सकती है. वहीं, बीजेपी गठबंधन में अपने सहयोगी दलों को भी हिस्सेदारी देने की तैयारी में हैं. एनडीए सहयोगियों को खुश रखने के लिए राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और अपना दल (एस) से एक-एक मंत्री बनाए जाने की संभावना है. इससे गठबंधन को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी.
डिप्टी सीएम पद पर सस्पेंस बरकरार
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लेकर अटकलें लगातार चल रही हैं. कुछ सूत्र उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी मिलने की बात कह रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि वे अपनी मौजूदा भूमिका में बने रहेंगे. यदि कोई बदलाव होता है, तो पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है. पार्टी शीर्ष नेतृत्व उनकी नियुक्ति से महिला और निषाद समुदाय को साधना चाहता है.
क्यों जरूरी है मंत्रिमंडल में फेरबदल?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बदलाव कई कारणों से महत्वपूर्ण है. संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल. नए सामाजिक वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर ओबीसी और दलित वोट बैंक को मजबूत करना. 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले मजबूत संदेश देना. साथ ही लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर नई ऊर्जा लाना है.
हालांकि, पार्टी या सरकार की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन संकेत साफ हैं कि योगी मंत्रिमंडल में बड़ा उलटफेर जल्द देखने को मिलेगा. नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के नेतृत्व में संगठन को नई धार देने की तैयारी के साथ सरकार में भी समानांतर बदलाव होंगे. राजनीतिक गलियारे गर्म हैं, और आने वाले दिनों में यूपी की सियासत में कई सरप्राइज देखने को मिल सकते हैं.