पूर्वांचल पर क्यों है बीजेपी का खास फोकस? पहले CM और अब प्रदेश अध्यक्ष समेत और भी कई बड़े पद
उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूर्वांचल हमेशा निर्णायक रहा है. बीजेपी का पूरा फोकस पूर्वांचल में दबदबा कायम करना है. पूर्वांचल से बीजेपी के कई मुख्य नेता पार्टी औऱ संगठन में अहम पदों पर हैं. मुख्यमंत्री योगी खुद गोरखपुर से आते हैं. इसके बाद भी बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए पूर्वांचल से आने वाले पंकज चौधरी को चुना है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उत्तर प्रदेश इकाई की कमान एक बार फिर पूर्वांचल के नेता को सौंप दी है. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और महाराजगंज से सात बार के सांसद पंकज चौधरी को रविवार (14 दिसंबर 2025) को सर्वसम्मति से यूपी भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया. लखनऊ में भव्य ‘संगठन पर्व’ समारोह में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उनकी ताजपोशी की घोषणा की, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्री समेत तमाम दिग्गज मौजूद रहे.
पंकज चौधरी कुर्मी समाज से ताल्लुक रखते हैं और पूर्वांचल के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं. उनकी नियुक्ति को 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका देने वाले कुर्मी वोट बैंक को साधने की बड़ी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. 2024 में समाजवादी पार्टी ने PDA फॉर्मूले से कुर्मी वोटों का बड़ा हिस्सा हासिल किया था, जिसमें सपा के 7 कुर्मी सांसद जीते.
भाजपा का मानना है कि कुर्मी वोटों का रुझान बदलने से पूर्वांचल में कई सीटें गंवाई गईं. भाजपा ने पूर्वांचल के नेता पंकज चौधरी को यूपी अध्यक्ष बनाकर 2024 के नुकसान की भरपाई और 2027 विधानसभा चुनाव की नींव रखी है. अब पंकज चौधरी के जरिए पार्टी पूरे प्रदेश में कुर्मी नेतृत्व खड़ा करने और गैर-यादव OBC को मजबूत करने की कोशिश करेगी.
पूर्वांचल पर भाजपा का खास फोकस क्यों?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूर्वांचल (गोरखपुर, वाराणसी, बस्ती, आंबेडकर, गोण्डा, बाहराइच, बाराबंकी मिर्जापुर, आजमगढ़ समेत पूर्वी और अवध एक दर्जन से अधिक जिले) हमेशा निर्णायक रहा है. 2022 विधानसभा चुनाव में भी सपा को पश्चिमी यूपी व यादव बेल्ट में ज्यादा फायदा नहीं मिला, लेकिन पूर्वांचल में उसने अच्छी सीटें जीतीं. 2024 लोकसभा में भी पूर्वांचल और अवध में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ, जहां मोदी-योगी का गढ़ माना जाता है.
इस क्षेत्र पर भाजपा का फोकस इसलिए भी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद वाराणसी से सांसद हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से ताल्लुक रखते हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का चंदौली से गहरा जुड़ाव है. केंद्रीय मंत्री कमलेश पासवान बांसगांव (गोरखपुर) से सांसद हैं. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला गोरखपुर के रहने वाले हैं. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राधा मोहन सिंह गोरखपुर से राज्यसभा सांसद हैं.
पूर्वांचल और अवध में विकास कार्यों, राम मंदिर और हिंदुत्व की राजनीति से भाजपा को मजबूती मिली, लेकिन 2024 में OBC वोटों का बंटवारा और PDA का असर दिखा. अब 2026 पंचायत चुनाव और 2027 विधानसभा से पहले पूर्वांचल को मजबूत करना भाजपा की प्राथमिकता है.
यूपी भाजपा अध्यक्षों की सूची की पूर्वांचल का दबदबा
भाजपा के गठन के बाद यूपी में अब तक 17 प्रदेश अध्यक्ष हो चुके हैं, जिनमें से अधिकांश पूर्वांचल से रहे.
- माधव प्रसाद त्रिपाठी (1980) – बस्ती
- कल्याण सिंह (1984)
- राजेंद्र कुमार गुप्ता (1990)
- कलराज मिश्रा (1991) – देवरिया/वाराणसी क्षेत्र
- राजनाथ सिंह (1997) – चंदौली/मिर्जापुर जुड़ाव
- ओम प्रकाश सिंह (2000) – मिर्जापुर
- कलराज मिश्रा (2000, दूसरी बार)
- विनय कटियार (2002)
- केशरीनाथ त्रिपाठी (2004) – प्रयागराज
- रमापति राम त्रिपाठी (2007) – गोरखपुर
- सूर्य प्रताप शाही (2010) – कुशीनगर
- लक्ष्मीकांत बाजपेयी (2012) – मेरठ
- केशव प्रसाद मौर्य (2016)
- महेंद्र नाथ पांडेय (2017) – चंदौली
- स्वतंत्र देव सिंह (2019) – मिर्जापुर
- भूपेंद्र सिंह चौधरी (2022) – पश्चिमी यूपी
- पंकज चौधरी (2025) – महाराजगंज (पूर्वांचल)
इस सूची में 11 से ज्यादा अध्यक्षों का ताल्लुक पूर्वांचल से रहा है. पंकज चौधरी चौथे कुर्मी नेता हैं जो इस पद पर पहुंचे. इससे पहले ओम प्रकाश सिंह, स्वतंत्र देव सिंह, विनय कटियार रहें है. पंकज चौधरी ने पद संभालते हुए कहा कि वे कार्यकर्ताओं से निरंतर संपर्क-सवाद कर संगठन को मजबूत करेंगे. भाजपा सूत्रों का कहना है कि यह नियुक्ति 2027 में रिकॉर्ड जीत का ब्लूप्रिंट है, जहां पूर्वांचल और OBC वोट बैंक निर्णायक होंगे.