नोएडा में 6 दिसंबर को बसपा का शक्ति प्रदर्शन, विशाल रैली कर मायावती दिखाएंगी असली ताकत

बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती 6 दिसंबर को नोएडा में डॉ. अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर विशाल रैली कर रही हैं. यह रैली बसपा की वास्तविक ताकत दिखाने और जनाधार खिसकने की अफवाहों का जवाब देने के लिए है. देश के कोने-कोने से बसपा के नेता, कैडर और समर्थक नोएडा पहुंचेंगे.

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती (फाइल फोटो) Image Credit: PTI

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती एक बार फिर मैदान में उतरने जा रही हैं. बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के 69वें परिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर) के अवसर पर नोएडा में विशाल रैली का आयोजन है. उनकी मेगा रैली को पूरे देश की निगाहें टकटकी लगाए देख रही हैं. इस रैली के जरिए मायावती सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि जनाधार खिसकने की अफवाहों का भी जवाब देंगी.

मायावती अपने राजनीतिक विरोधियों को साफ-साफ संदेश देंगी कि ‘बसपा का कोर वोट बैंक आज भी मजबूती से उनके साथ है और कहीं खिसका नहीं है.’ पिछले महीने 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में हुई रैली में लाखों की भीड़ जुटाकर उन्होंने पहले ही विरोधियों के दावों की हवा निकाल दी थी. अब नोएडा रैली को और भी निर्णायक बनाया जा रहा है.

जनाधार खिसकने की अफवाहों पर करारा जवाब

पिछले कुछ समय से यूपी की सियासत में यह चर्चा जोरों पर थी कि बसपा का परंपरागत दलित वोट बैंक खिसक रहा है. कुछ विपक्षी दल तो यहां तक प्रचार कर रहे थे कि टबसपा अब भाजपा की बी-टीम बन चुकी हैट. इन सारी अफवाहों को लखनऊ की रैली ने पहले ही ध्वस्त कर दिया था. अब 6 दिसंबर की नोएडा रैली से मायावती अंतिम कील ठोंकने जा रही हैं.

बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘लखनऊ की रैली के बाद बिहार में पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा और एक सीट भी जीती. यह अपने आप में बड़ा संदेश था. अब नोएडा में हम दिखाएंगे कि बहुजन समाज की असली ताकत अभी बाकी है.’

समीकरण को फिर से मजबूत करने की कवायद

मायावती इस बार सिर्फ दलित वोट बैंक को एकजुट करने तक सीमित नहीं रहना चाहती. पार्टी मुस्लिम और अति पिछड़ी जातियों को भी बड़े पैमाने पर जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. नोएडा और गौतमबुद्ध नगर क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अच्छी-खासी है, जबकि आसपास के जिलों में दलित-ओबीसी वोटरों की बड़ी तादाद है. इसलिए इस रैली को सामाजिक समीकरण के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है.

2027 की राह पर मायावती की नई शुरुआत

2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था. 2022 में पार्टी महज एक सीट जीत पाई थी. उसके बाद से मायावती लगातार संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने में जुटी हैं. लखनऊ के बाद नोएडा की रैली को पार्टी कार्यकर्ता ‘2027 के महासंग्राम की औपचारिक शुरुआत’ मान रहे हैं.

6 दिसंबर को नोएडा की धरती पर जब मायावती मंच पर होंगी, तो नीली पताकाओं का समंदर और टजय भीम-जय भारतट के नारे एक बार फिर यह साबित कर देंगे कि बहुजन समाज की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि 6 दिसंबर को नोएडा में मायावती कितनी बड़ी भीड़ जुटा पाती हैं और कितना जोरदार संदेश दे पाती हैं.