‘बाबा तुम तो चुप ही रहो…’ अंबेडकर पर रामभद्राचार्य की टिप्पणी पर भड़कीं मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर पर की गई टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. मायावती ने रामभद्राचार्य का नाम लिए बिना कहा कि उन्हें अंबेडकर के योगदान के बारे में सही जानकारी ना हो तो चुप ही रहें. यह उनके लिए नेक सलाह है. मायावती ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए रामभद्राचार्य के बयान को जातिवादी द्वेष से प्रेरित बताया.

बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर को लेकर तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य के बयान पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि आज कल के साधु संत सुर्खियों में रहने के लिए कुछ भी बोलने लगे हैं. उन्होंने बिना नाम लिए रामभद्राचार्य को कड़ी नसीहत दी है. कहा कि यदि आप बाबा साहेब के अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं तो चुप ही रहें. मायावती ने अपनी नाराजगी सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट के जरिए व्यक्त की है.
मायावती ने लिखा है कि बाबा साहेब के अनुयायी मनुस्मृति का विरोध क्यों करते हैं? उसे समझने के लिए इन्हें अपने जातिवादी द्वेष के भाव से बाहर आना होगा. कहा कि बाबा साहेब विद्वान थे और महान व्यक्तित्व के स्वामी थे. उन्होंने बिना नाम लिए रामभद्राचार्य पर सीधा अटैक किया. कहा कि बाबा साहेब के सामने उनके खिलाफ टिप्पणी करने वाले साधु-संत कुछ भी नहीं हैं. ऐसे लोगों के लिए नेक सलाह है कि बाबा साहेब के बारे में कुछ भी कहने से बचना चाहिए.
रामभद्राचार्य ने क्या की थी टिप्पणी?
रामभद्राचार्य ने शुक्रवार को ही टीवी पर दिए एक इंटरव्यू में डॉ. अंबेडकर को लेकर टिप्पणी की थी. उन्होंने दावा किया था कि डॉ. अंबेडकर को संस्कृत भाषा का ज्ञान नहीं था. उन्होंने तर्क दिया था कि यदि अंबेडकर को संस्कृत का ज्ञान होता और वह मनुस्मृति पढ़े होते तो इसका अपमान नहीं करते.रामभद्राचार्य के इस बयान के बाद मायावती ने सोशल मीडिया में यह टिप्पणी की है. उन्होंने रामभद्राचार्य का भले ही नाम नहीं लिया, लेकिन अटैक बिलकुल सीधा किया. कहा कि बाबा साहेब के विद्वता के आगे आप कहीं नहीं टिकते.
सोशल मीडिया पर बवाल
रामभद्राचार्य पर मायावती के इस पलटवार के बाद सोशल मीडिया पर बवाल तेज हो गया है. लोग पक्ष और विपक्ष में तमाम तरह के तर्क दे रहे हैं. कई लोगों ने एक तरफ जहां अंबेडकर के संविधान निर्माता होने पर सवाल उठाए हैं. वहीं कई लोगों ने मायावती के खिलाफ टिपपणी की है. कहा है कि जो लोग आज गीता-वेद नहीं पढ़े, वे संतों की विद्वता पर उंगली उठाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं कुछ लोगों ने इस टिप्पणी को अस्तित्व बचाने की कोशिश बताया है.