‘कोठी खाली करने का सवाल ही नहीं’, मुरादाबाद सपा दफ्तर पर विवाद; 250 रुपये में थी आवंटित

मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी के कार्यालय को लेकर विवाद गहरा गया है. प्रशासन ने कार्यालय को दो सप्ताह में खाली करने का नोटिस दिया है. लेकिन सपा का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर कार्यालय नहीं खाली करेंगे. यह कोठी मुलायम सिंह यादव को 1994 में आवंटित की गई थी.

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (फाइल फोटो) Image Credit:

मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय को लेकर विवाद तूल पकड़ रहा है. सपा नेताओं ने कार्यालय खाली करने से इनकार करते हुए कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है. बीते दिन प्रशासन ने सपा कार्यालय का आवंटन निरस्त कर दिया था. साथ ही इसे खाली करने के लिए दो हफ्ते का नोटिस दिया था.

सपा नेताओं ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी कीमत पर कार्यालय खाली नहीं करेंगे. इसके लिए वह सड़क से लेकर कोर्ट तक अपनी लड़ाई लड़ेंगे. अखिलेश यादव ने कहा कि आज वे हमारे पार्टी कार्यालय गिरा रहे हैं. सरकार आने पर सपा के बनाए स्थानों पर आपने जो बनाया है, वहां भी बुलडोजर चलेगा.

मुलायम सिंह को आवंटित की गई थी कोठी

मुरादाबाद के पॉश इलाके सिविल लाइंस में स्थित यह कोठी नंबर-4 के नाम से जानी जाती है. यह ग्राम छावनी स्थित पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज के पास नजूल भूमि पर बनी हुई है. करीब 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैली यह कोठी 13 जुलाई, 1994 को यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नाम पर आवंटित की गई थी.

यह कोठी आज से 31 साल पहले दिवंगत मुलायम सिंह यादव को 250 रुपये में आवंटित हुई थी. तब से लेकर अभी तक इस कोठी का किराया यही चल रहा है. वहीं, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से इसे अब तक दुसरे नाम पर ट्रांसफर या रिनूअल नहीं कराया गया है. अब इसे सरकारी उपयोग में लाने की कवायद तेज है.

‘हैसियत है तो दुबे परिवार पर चलाएं बुलडोजर’

सपा का दावा है कि आवंटन में हुई किसी भी गलती को सुधारा जा सकता है, लेकिन कार्यालय खाली नहीं किया जाएगा. पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को मामले की जानकारी दे दी है और आगे की रणनीति बनाई जा रही है. इस कोठी को लेकर अब सपा ने स्पष्ट रुख अपनाया है. साथ ही कानूनी लड़ाई लड़ने की घोषणा की है.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को कोठी खाली करने के नोटिस पर जमकर सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि ये लोग सिर्फ कमजोरों पर जुल्म कर सकते हैं. सरकार की इतनी हैसियत नहीं कि वह अखिलेश दुबे की किसी भी बिल्डिंग पर बुलडोजर चालाए, क्योंकि ऐसा करने से उनकी पोल खुल जाएगी.