एक तरफ बसपा की रैली, दूसरी ओर सपा की संगोष्ठी… यूपी में दलित वोटों के लिए छिड़ी है जंग!
उत्तर प्रदेश में दलित वोटों पर बसपा और सपा के बीच जबरदस्त जंग छिड़ गई है. मायावती की मेगा रैली और अखिलेश यादव की संगोष्ठियां विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा हैं. दोनों दल कांशीराम की विरासत पर दावा ठोकते हुए एक-दूसरे पर हमलावर हैं.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित वोटों की जंग ने नया मोड़ ले लिया है. बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि पर लखनऊ के मान्यवर कांशीराम स्मारक पर एक मेगा रैली आयोजित की, जिसमें लाखों समर्थक जुटे. वहीं, समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांशीराम को याद में पूरे प्रदेश में संगोष्ठी का आयोजन किया.
लखनऊ में खुद अखिलेश यादव ने श्रद्धांजलि देते हुए एक संगोष्ठी किया. जिसमें कई दलित नेता और दलित चिंतक शामिल हुए. जो दलितों को अपनी ओर खींचने की रणनीति का हिस्सा है. 2027 के विधानसभा चुनाव से डेढ़ साल पहले ये घटनाक्रम साफ बता रहे हैं कि 21% दलित वोट बैंक पर बीएसपी और सपा के बीच सीधी टक्कर हो रही है.
सपा-कांग्रेस पर ‘दलित-विरोधी’ होने का आरोप
हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस भी इस दौड़ में पीछे नहीं हैं, लेकिन मायावती और अखिलेश के बीच की यह जंग सबसे तीखी है. बीएसपी ने 2027 में अकेले उतरने का ऐलान किया है. मायावती ने रैली के दौरान मंच से सीधे सपा-कांग्रेस पर बोलते हमला बोला और दोनों पर ‘दलित-विरोधी’ होने का आरोप लगाया.
इस दौरान लखनऊ की सड़कों पर सिर्फ नीले रंग की लहर थी. मायावती ने आरोप लगाया कि सपा सत्ता में रहते कांशीराम नगर जिले का नाम बदलकर कासगंज कर दिया, बीएसपी के बनाए संस्थानों को बंद कर दिया. एक रुपया भी स्मारकों पर खर्च नहीं किया. ये दलितों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
योगी सरकार की तारीफ, PDA पर हमला
बीएसपी की मेगा रैली में करीब डेढ़ से 2 लाख के बीच कार्यकर्ता मौजूद थे. इस दौरान मायावती ने यूपी की योगी सरकार की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्मारक के रखरखाव पर पूरा खर्च किया, जबकि सपा के समय यह जर्जर हो गया था. उन्होंने कहा कि सपा पीडीए का नारा खोखला है.
यह रैली बीएसपी के लिए सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि पुनरागमन का संकेत थी. 2024 लोकसभा चुनाव में बीएसपी को महज 9.3% वोट मिले थे, जो 2007 के 30% से बहुत कम है. वहीं, अब मायावती का पूरा फोकस जाटव दलितों (11% वोटर) पर है, लेकिन गैर-जाटव दलितों को भी लौटाने की कोशिश है.
मायावती कठपुतली: अखिलेश का पलटवार
वहीं, मायावती की रैली खत्म होते ही अखिलेश यादव ने शायराना अंदाज में पलटवार किया. लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि सपा कांशीराम के सम्मान में स्मारक बनाएगी. अखिलेश ने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को दोहराया और कहा कि यह दलितों की एकमात्र उम्मीद है.
सपा ने कांशीराम की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें पूर्व बीएसपी नेता दादू प्रसाद और सपा सांसद आर के चौधरी जैसे दलित चेहरों को शामिल थे. 2024 में PDA ने सपा को 37 सीटें दिलाईं, जिसमें गैर-जाटव दलितों का बड़ा योगदान था. अखिलेश ने मायावती पर बीजेपी से ‘गुप्त साठगांठ’ का आरोप लगाया.