लेखपाल भर्ती में बैकफुट, चुनावी साल में कोई रिस्क नहीं लेगी सरकार; आरक्षण पर CM योगी का नया फरमान

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों से पहले आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है. लेखपाल भर्ती में ओबीसी को कम आरक्षण मिलने के विवाद के बाद, योगी सरकार ने सभी सरकारी भर्तियों में आरक्षण नियमों का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है. यह कदम विपक्षी दलों के आरोपों और चुनावी साल में आरक्षित वर्ग को साधने की कोशिश माना जा रहा है, जिससे भविष्य की भर्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके.

आरक्षण पर सीएम योगी का नया फरमान

उत्तर प्रदेश में भले ही विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं और इसमें थोड़ा समय है, लेकिन पंचायत चुनाव इसी साल होने है. ऐसे में प्रदेश में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से गर्म होता नजर आ रहा है. लेखपाल भर्ती में आरक्षण नियमों की कथित अनदेखी को लेकर विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी तीखे हमले कर रही है. इससे बैकफुट पर आई योगी आदित्यनाथ सरकार अब इसमें फंसने के मूड में नहीं है. ऐसे में सीएम योगी ने सभी भर्तियों में आरक्षण के नियमों का सख्ती से पालन का फरमान जारी किया है.

यह कदम स्पष्ट रूप से चुनावी साल में पिछड़े, दलित और अन्य आरक्षित वर्ग के गुस्से को शांत करने की कोशिश जैसा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव (नियुक्ति एवं कार्मिक) ने सभी विभागों, भर्ती एजेंसियों जैसे UPPSC और UPSSSC को आदेश जारी किया है. उन्हें वर्टिकल आरक्षण (SC-21%, ST-2%, OBC-27%, EWS-10%) और हॉरिजॉन्टल आरक्षण (महिला, दिव्यांग, पूर्व सैनिक आदि) का अक्षरशः पालन करने को कहा है.

पहले ओबीसी को मिले थे 18 प्रतिशत पद

सरकार के निर्देश के मुताबिक सभी सरकारी नौकरियों में 60% आरक्षण निर्धारित हैं. आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी तरह की लापरवाही या विसंगति पर सख्त कार्रवाई होगी. भर्ती बोर्डों को खुद रिक्तियों की गणना की दोबारा जांच करने को कहा गया है. यह फरमान हाल ही में 7994 लेखपाल पदों की भर्ती में उठे बवाल के बाद आया है. शुरुआती विज्ञापन में OBC को केवल 18% के करीब पद मिले थे, जबकि नियम के मुताबिक 27% यानी करीब 2158 पद मिलने चाहिए थे.

पूर्व सीएम अखिलेश ने लगाए थे आरोप

इस खुलासे के बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे ‘आरक्षण की लूट’ और ‘हकमारी’ बताते हुए BJP पर PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) विरोधी होने का आरोप लगाया था. विपक्ष के दबाव और अभ्यर्थियों के विरोध के बाद राजस्व परिषद ने पदों की समीक्षा शुरू की और संशोधित अधियाचन भेजने का फैसला लिया, जिससे OBC के पद बढ़े और सामान्य वर्ग के घट गए. विपक्ष का कहना है कि योगी सरकार जानबूझकर आरक्षण नियमों को कमजोर कर रही थी, ताकि सामान्य वर्ग के वोटरों को खुश किया जाए.