फिर ज्योतिष का केंद्र बनेगा बलिया! महर्षि भृगु कॉरिडोर को सरकार की मंजूरी, रिसर्च सेंटर भी बनेगा

उत्तर प्रदेश सरकार ने महर्षि भृगु कॉरिडोर को मंजूरी दी है, जिससे बलिया को उसका प्राचीन गौरव वापस मिलेगा. यहां ज्योतिष विज्ञान का रिसर्च सेंटर भी बनेगा, जिससे भृगु संहिता पर नए शोध हो सकेंगे. यह पहल बलिया को पर्यटन मानचित्र पर लाएगी और ज्योतिष के क्षेत्र में विश्वव्यापी मान्यता दिलाने में सहायक होगी. यह कॉरिडोर क्षेत्र के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा.

भृगु मंदिर बलिया

उत्तर प्रदेश में महर्षि भृगु की धर्मस्थली बलिया को एक बार फिर पुराना वैभव हासिल हो सकता है. पहले यूनिवर्सिटी, फिर मेडिकल कॉलेज और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने महर्षि भृगु कॉरिडोर को मंजूरी दे दी है. इस कॉरिडोर के बनने से भृगु मंदिर पर्यटन के नक्शे पर आ जाएगा. इसी के साथ सरकार ने ज्योतिष विज्ञान की इस जन्म स्थली पर रिसर्च सेंटर शुरू करने की भी कवायद शुरू कर दी है. इससे ज्योतिष विज्ञान में नए शोध हो सकेंगे.

पौराणिक साक्ष्यों के मुताबिक परमपिता ब्रह्मा के मानस पुत्र महर्षि भृगु ने इसी बलिया की धरती पर हजारों साल तक तप किया था. वह सतयुग से त्रेता तक यहां रहे थे. यहीं पर बैठकर उन्होंने ज्योतिष विज्ञान के महान ग्रंथ भृगु संहिता की रचना की थी. ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव की परीक्षा लेने के बाद ग्लानि में डूबे महर्षि भृगु ने यहां ज्योतिष विज्ञान पर शोध किया था. उसी दौरान उन्हें आभाष हुआ कि गंगोत्री से निकल रही पतित पावनी गंगा कलियुग के आखिर तक सूख जाएंगी. ऐसे में उन्होंने अपने शिष्य दर्दर मुनि के साथ मिलकर अयोध्या तक प्रवाहित सरयू की धारा को खींचकर यहां गंगा में मिला दिया.

माता लक्ष्मी का डंडा लेकर आए महर्षि भृगु

कहा जाता है कि महर्षि भृगु ने त्रिदेवों की परीक्षा के दौरान भगवान विष्णु के वक्षस्थल पर लात मारा था. इससे माता लक्ष्मी नाराज हो गईं और श्राप दिया था कि ब्राम्हण कुल से धन वैभव चला जाएगा. उस समय देवताओं ने माता लक्ष्मी से प्रार्थना की. इसके बाद उन्होंने महर्षि भृगु को एक सूखी लकड़ी दी. कहा कि मृत्यु लोक में यह लकड़ी जहां हरी हो जाएगी, वहीं पर उनके पाप धुलेंगे. इसके बाद महर्षि भृगु धरती पर आ गए थे. काफी घूमने के बाद वह बलिया पहुंचे, जहां लकड़ी हरी हो गई. इसलिए उन्होंने इसी स्थान को अपनी तपोस्थली बनाई थी. उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के मुताबिक महर्षि भृगु की इस धरती को कॉरिडोर के रूप में सहेजा जाएगा. इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है.

रिसर्च सेंटर लौटाएगा वैभव

बलिया के महर्षि भृगु आश्रम पर ज्योतिष रिसर्च सेंटर शुरू होने से जिले का पुराना वैभव वापस हासिल हो सकेगा. इस सेंटर पर देश ही नहीं, दुनिया भर से लोग ज्योतिष सीखने के लिए आएंगे. इसी के साथ ज्योतिष विज्ञान, जिसे आधुनिक जमाने में पूरी तरह मान्यता नहीं मिल सकी है, उसे भी मान्यता दिलाने में यह अहम कड़ी होगी. इसके अलावा कॉरिडोर बनने से बलिया पर्यटन के नक्शे पर आएगा. इससे दुनिया भर के लोग घूमने के लिए यहां आएंगे. इससे क्षेत्र का विकास होगा.