जिस जगह था दस्युओं का आतंक, वहां अब महिलाएं ऐसे कमा रही हैं बढ़िया पैसा
औरैया जनपद, जो कभी दस्युओं का गढ़ था, अब महिला किसानों की सफलता का प्रतीक बन गया है. दस्यु उन्मूलन के बाद, यहां की महिलाएं फूलों की खेती जैसे गेंदा और गुलाब से आत्मनिर्भर बनी हैं. सरकारी सहयोग से वो हर महीने 40-50 हजार रुपये तक कमाकर अपने परिवारों का पालन-पोषण कर रही हैं, जिससे क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक बदलाव आया है.
यूपी का औरैया जनपद, जो आज भी बीहड़ के नाम से जाना जाता है, लगभग दो दशक पहले खूंखार दस्युओं के आतंक का गढ़ था. निर्भर गुर्जर, लालाराम और महिला दस्यु सुंदरियों कुसुमा व सीमा परिहार जैसे नामचीन अपराधियों के कारण यहां के किसान खेती आदि करने में भय का सामना करते थे. लेकिन दस्यु उन्मूलन के बाद स्थिति बदल गई. यहां के किसान और महिला किसान भी आगे बढ़कर कृषि काम कर रहे हैं.
यूपी का औरैया करीब दो दशक पहले खूंखार दस्युओं के कारण यहां के किसान खेती करने से डरते थे. अब हालातों में बदलाव आया है. दस्यु उन्मूलन के बाद अब किसान खेती कर रहे हैं. फूलों की खेती में वे महीने में 40 से 50 हजार रुपये तक कमा रही हैं और अपने परिवार का खुशी-खुशी पालन-पोषण कर रही हैं.
50 हजार रुपये की कमाई
औरैया जनपद में फूल कानपुर नगर समेत जालौन, आगरा जैसे जिलों से ऑर्डर्स आते हैं. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बीजेपी सरकार और जिला प्रशासन ने औरैया की महिला किसानों को विशेष सहूलियतें दी हैं. अब महिला किसान फूलों की खेती की मदद से महीने में लगभग 50 हजार रुपये की कमाई कर रही हैं.
मुख्य विकास अधिकारी संत कुमार का कहना है कि पहले और अब के समय में काफी बदलाव आया है. महिलाएं अब खुद अपना और अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा प् रही हैं. समूहों के माध्यम से महिला किसानों को सरकारी योजनाओं और लाभों की जानकारी दी जा रही है. इससे वे अधिक प्रभावी तरीके से काम कर रही हैं.
गेंदा और गुलाब की खेती
फूलों की खेती करने वाली महिला किसान सुखरानी का कहना है कि वे गेंदा और गुलाब की खेती कर रही हैं. उनके अनुसार इससे उन्हें अच्छा-ख़ासा मुनाफा हो जाता है. वे औरैया जनपद में साल 2019 से फूलों की खेती कर रही हैं.
महिला किसान के बेटे विवेक ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2019 में फूलों की खेती शुरू की थी. उस समय जनपद औरैया में फूलों की जरूरत कानपुर नगर, आगरा, जालौन आदि जिलों से पूरी की जाती थी. लेकिन खेती शुरू करने के बाद उन्होंने एक अलग बाजार बना लिया. फूलों की खेती से उन्हें लगभग 50 हजार रुपये प्रति माह की आय होती है, जिससे परिवार का पालन-पोषण अच्छे से हो जाता है. इसके साथ ही, फूलों की खेती के लिए जिला प्रशासन और सरकार की ओर से उन्हें पूरा सहयोग मिल रहा है.