UP के मदरसों में गड़बड़ी! रोकने के लिए एक्शन में सरकार, हर महीने टीचर्स को देना होगा ये सर्टिफिकेट
उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों में वेतन घोटाला सामने आने के बाद कड़ा रुख अपनाया है. आजमगढ़ के शमशुल कांड के बाद, सरकार ने अब हर महीने शिक्षकों का भौतिक सत्यापन अनिवार्य कर दिया है. सेवा पुस्तिकाओं की गहन जांच और अनियमितताओं को रोकने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
उत्तर प्रदेश के मदरसों में गड़बड़ी को लेकर सरकार ने सख्त रूख अपना लिया है. आजमगढ़ के मदरसे में वेतन घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने हर महीने वेतन जारी करने से पहले यहां तैनात टीचर्स का फिजिकल वैरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया है. वहीं किसी भी टीचर की चाहें स्वैच्छिक सेवा निवृति हो या सामान्य, उसकी सेवा पुस्तिका की गहनता से जांच होगी. इस संबंध में शासन ने अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय को दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. शासन ने इसमें साफ तौर पर कहा है कि दोबारा कोई शमशुल जैसा कांड नहीं होना चाहिए.
इस खबर में आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि आखिर ये शमशुल कांड क्या है और इसका मदरसे से क्या संबंध है? अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय के मुताबिक आजमगढ़ के मुबारकपुर स्थित मदरसा दारूल उलूम अहले सुन्नत मदरसा अशरफिया में 12 जुलाई 1984 को एक टीचर शमशुल की सहायक अध्यापक आलिया के पद पर नियुक्ति हुई थी. शुरू में तो इस टीचर ने खूब मन लगाकर काम किया, लेकिन बाद में यह कुछ विदेशी संस्थाओं के संपर्क में आ गया. फिर वह साल 2007 से अचानक ब्रिटेन चला गया. इसके लिए ना तो उसने मदरसे में छुट्टी का आवेदन किया और ना ही जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को ही सूचना दी.
2007 से 17 तक वेतन, फिर मिलने लगा पेंशन
ब्रिटेन में रहते हुए उसने 19 दिसंबर 2013 को ब्रिटिश नागरिकता भी ले ली, लेकिन यहां मदरसे में उसकी नौकरी चलती रही और प्रिंसिपल के हस्ताक्षर से उसे हर महीने वेतन की राशि भी जारी होती रही. बल्कि साल 2007 से 2017 तक हर साल उसका उल्लेखनीय काम बताकर इंक्रीमेंट भी मिलता रहा. फिर 1 अगस्त 2017 को उसने ब्रिटेन में ही बैठे-बैठे वीआरएस अप्लाई कर दिया. वहीं, आजमगढ़ में बैठे अधिकारियों की कृपा से वीआरएस मंजूर करते हुए उसे पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई.
एटीएस की जांच में खुलासा
पिछले दिनों यूपी एटीएस को एक इनपुट मिला था कि यही मदरसा टीचर शमशुल सरकारी तनख्वाह लेकर गल्फ कंट्रीज में इस्लाम का प्रचार कर रहा है. इनपुट यह भी था कि वह अलग अलग देशों में घूमकर जेहादियों की टीम तैयार कर रहा है. इस इनपुट पर हरकत में आई एटीएस ने मामले की जांच की. इसमें उसके पूरे गड़बड़झाले का खुलासा हुआ है. इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके पेंशन पर रोक लगाते हुए विधिवत जांच के आदेश दिए हैं.
घोटाला रोकने को एक्शन में सरकार
सरकार को शक है कि इस तरह की गड़बड़ी प्रदेश के अन्य मदरसों में भी हो सकती है. इसकी पड़ताल के लिए शासन के ओर से अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय को कुछ गाइडलाइन जारी हुई है. इसमें हरेक वेतनभोगी मदरसा टीचर के फिजिकल वेरिफिकेशन की बात कही गई है. वेतन जारी करने से पहले हर महीने उनसे हाजिरी का प्रमाण पत्र और हर साल इंक्रीमेंट देते समय उनकी सेवा पुस्तिका की जांच के निर्देश दिए गए है. वहीं शासन के निर्देश पर निदेशालय ने इस गाइडलाइन पर अमल के लिए सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देशित किया है.
561 मदरसों को मिलता है अनुदान
उत्तर प्रदेश में संचालित 561 मदरसे एडेड हैं और इन्हें सरकारी अनुदान मिलता है. यहां तैनात सभी शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों को सरकार से वेतन एवं पेंशन के अलावा अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं. इन सभी मदरसों में तैनात शिक्षकों की संख्या 9889 है. वहीं 8367 शिक्षणेत्तर कर्मचारी भी काम करते हैं. अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय के मुताबिक इन मदरसों में कुल 231806 छात्रों का रजिस्ट्रेशन है.
