उत्तर प्रदेश के नए मुख्य सचिव एसपी गोयल के चयन के पीछे वो पांच बड़े कारण

आईएएस एसपी गोयल को यूपी का नया मुख्य सचिव नियुक्ति किया गया है. वह 1989 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी है. साथ ही गोयल की "साइलेंट ऑपरेटर" छवि और लंबा कार्यकाल योगी सरकार के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. जानें एसपी गोयल को नए मुख्य सचिव नियुक्ति करने के पांच बड़े कारण.

सीएम योगी के साथ नए मुख्य सचिव एसपी गोयल (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में 1989 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शशि प्रकाश गोयल (SP Goyal) को योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है. मौजूदा मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के रिटायरमेंट के बाद यह कुर्सी खाली हुई थी, और इस रेस में कई दिग्गजों के नाम चर्चा में थे. लेकिन आखिर क्यों एसपी गोयल ने यह बाजी मारी? आइए, जानते हैं उन पांच प्रमुख कारणों को, जिन्होंने गोयल को उत्तर प्रदेश की सबसे ताकतवर प्रशासनिक कुर्सी तक पहुंचाया.

CM योगी के सबसे भरोसेमंद सिपहसालार

एसपी गोयल पिछले साढ़े आठ साल 19 मई 2017 से मुख्यमंत्री कार्यालय (पंचम तल) में प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव के रूप में तैनात रहें. इस दौरान उन्होंने योगी आदित्यनाथ के साथ नजदीकी से काम किया और उनकी नीतियों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. योगी सरकार की शुरुआत से ही गोयल सीएम के सबसे विश्वसनीय अधिकारियों में शुमार रहे. उनकी गंभीर कार्यशैली, बिना शोर-शराबे के फैसले लेने की क्षमता और मुख्यमंत्री के विजन को धरातल पर उतारने की काबिलियत ने उन्हें योगी का दायां हाथ बना दिया. सूत्रों के मुताबिक, योगी शुरू से ही गोयल को इस पद के लिए तैयार कर रहे थे, और उनकी यह वफादारी और अनुभव इस नियुक्ति का सबसे बड़ा आधार बना.

वरिष्ठता और अनुभव में सबसे आगे

उत्तर प्रदेश में तैनात आईएएस अधिकारियों में एसपी गोयल वरिष्ठता के मामले में सबसे ऊपर हैं. 1989 बैच के टॉपर रहे गोयल का प्रशासनिक अनुभव और लंबा करियर उन्हें इस पद के लिए स्वाभाविक दावेदार बनाता था. उनके प्रतिद्वंद्वी, जैसे दीपक कुमार (1990 बैच) और देवेश चतुर्वेदी (1989 बैच, लेकिन कम कार्यकाल), वरिष्ठता और अनुभव में उनसे पीछे थे. गोयल का रिटायरमेंट जनवरी 2027 में है, जो उन्हें डेढ़ साल से ज्यादा का कार्यकाल देता है. यह लंबा कार्यकाल योगी सरकार को स्थिरता और निरंतरता प्रदान करने में मददगार होगा, खासकर 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए.

केंद्र और राज्य के बीच बेहतर समन्वय

एसपी गोयल की केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों के साथ गहरे रिश्ते और बेहतर समन्वय उनकी नियुक्ति का एक और बड़ा कारण है. वह पहले केंद्र में मानव संसाधन मंत्रालय में संयुक्त सचिव रह चुके हैं और गृह मंत्रालय, पीएमओ सहित कई केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों के साथ उनके अच्छे रिश्ते हैं. यह समन्वय उत्तर प्रदेश के लिए केंद्र की योजनाओं, फंडिंग और मंजूरियों को तेजी से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. खासकर, जब योगी सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार के बीच नीतिगत सामंजस्य की जरूरत हो, तब गोयल की यह काबिलियत उन्हें अलग करती है.

पर्दे के पीछे से धरातल पर उतरने की कला

एसपी गोयल को योगी सरकार का “साइलेंट ऑपरेटर” कहा जाता है. वह पर्दे के पीछे रहकर काम करने में माहिर हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय में उनकी भूमिका नीतियों को लागू करने और प्रशासनिक चुनौतियों को चुपके से सुलझाने की रही है. उनकी यह खासियत ‘बिना चर्चा में आए बड़े फैसले लागू करना’ ने उन्हें योगी का “एजेंडा मैनेजर” बनाया. सूत्रों का कहना है कि अगर कोई और अधिकारी मुख्य सचिव बनता, तो शायद योगी के एजेंडे को उतनी कुशलता से लागू नहीं कर पाता, जितना गोयल कर सकते हैं. उनकी यह “लो-प्रोफाइल हाई-इम्पैक्ट” शैली उनकी नियुक्ति का एक बड़ा कारण बनी.

2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति

लंबा कार्यकाल और आगामी चुनावों की रणनीतिएसपी गोयल का रिटायरमेंट जनवरी 2027 में है, लेकिन अगर उन्हें एक्सटेंशन मिलता है, तो वह 2026 के पंचायत चुनाव के बाद 2027 के विधानसभा चुनाव तक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. योगी सरकार के लिए ये दोनों चुनाव बेहद अहम हैं, और एक भरोसेमंद और अनुभवी मुख्य सचिव की जरूरत थी, जो इन तैयारियों को बखूबी अंजाम दे सके. उनकी नियुक्ति को योगी सरकार की 2027 की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

यूपी की सबसे ताकतवर प्रशासनिक कुर्सी पर बैठने के साथ ही गोयल के सामने अब कई चुनौतियां हैं. उत्तर प्रदेश में चल रही विकास योजनाओं, निवेश प्रस्तावों और केंद्र-राज्य समन्वय को और मजबूत करना उनकी प्राथमिकता होगी. इसके अलावा, 2026 और 2027 के चुनावों की तैयारियां भी उनके कंधों पर होंगी.