आजादी की लड़ाई में नेताजी का गुप्त अड्डा बना था यूपी का ये जिला … बनते थे हथियार, आज भी मौजूद हैं सबूत

15 अगस्त को देश की आजादी की 79 वीं वर्षगांठ है. आजादी की लड़ाई की बात हो और नेता जी का जिक्र न हो ऐसा ऐसा कैसे संभव है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी आजाद हिंद फौज के जरिए देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई. उनके इन संघर्ष के दिनों में उनका गुप्त ठिकाना बना यूपी का बाराबंकी. आखिर यहां के हड़हा स्टेट से उनका क्या ताल्लुक था और कैसे इस रियासत ने उनकी मदद की, आपको बताते हैं.

गुप्त ठिकाना बना था यूपी का बाराबंकी

यूपी का बाराबंकी जिला आजादी के आंदोलन का भी गवाह रहा है. कहते हैं कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को जब भी अंग्रेजी सरकार पकड़ने की कोशिश तो उनका गुप्त ठिकाना बना यही बाराबंकी. यहां के हड़हा रियासत के राजा से नेताजी के दोस्ताना संबंध थे. कहा जाता है कि राजा नेताजी को हर तरह से सपोर्ट सिस्टम प्रोवाइड कराते थे. यहां के बांस के जंगलों में गुप्त तरीके से हथियार बनाए जाए थे और यहीं जखीरा आजाद हिंद फौज तक पहुंचाया जाता था.

ऐसे देते थे अंग्रेजो को चकमा

हडाहा रियासत के वंशज कुंवर रिंकू सिंह उस दौर की पूरी कहानी बयां करते हैं. वे बताते हैं कि कि स्वतंत्रता संग्राम के उस दौर में नेताजी को ऐसे सुरक्षित स्थान की आवश्यकता थी, जहाँ हथियार बन सकें, सैनिकों का प्रशिक्षित हो सके और योजनाएं तैयार हों. राजा प्रताप बहादुर सिंह ने उनके इस मिशन में उनका पूरा सहयोग किया. गांव को चारों ओर से घने बांस के जंगलों तक अंग्रेज नहीं पहुंच पाते थे और इसी का फायदा उठाकर नेताजी अपने काम को अंजाम दे रहे थे.

लगी हुई है नेताजी की प्रतिमा

अंग्रेजो ने की छापेमारी

रात के अंधेरे में यहां बम, देसी पिस्तौल और दूसरे हथियार बनाए जाते थे और फिर गुप्त मार्गों के जरिए आज़ाद हिंद फौज तक पहुंचाए जाते थे. यह सिलसिला करीब 2 सालों तक चलता रहा जब तक अंग्रेजों को भनक न लगी. फिर एक बार अंग्रेजों को इसकी भनक लग गई. जिसके बाद यहां छापेमारी हुई और कई लोग गिरफ्तार करके प्रताड़ित किया गया. लेकिन किसी ने भी नेताजी की उपस्थिति का राज नहीं खोला. इस घटना के चलते हड़हा रियासत भी स्वतंत्रता संग्राम की अमर गाथा का अहम हिस्सा बन गई.

नेताजी की प्रतिमा आज भी

नेताजी की याद में राजा प्रताप बहादुर सिंह ने गांव में उनकी प्रतिमा स्थापित करवाई. कुंवर रिंकू सिंह कहते हैं कि हमारे परबाबा ने नेताजी के ठहरने, भोजन, धन, हर एक चीज का इंतेजाम किया. अंग्रेजों को भ्रमित करने के लिए इस गांव की लोकेशन काफी स्ट्रैटेजिक थी. क्योंकि ये घने जंगलों घिरा हुआ था. यहां गुप्त रूप से गन और बाकी हथियार छुपाकर रखे जाते थे. वे कहते हैं कि हडाहा आज भी उस गौरवपूर्ण अतीत का साक्षी है, जहां की मिट्टी में आज़ादी की तपिश और नेताजी की प्रेरणा अब भी महसूस की जा सकती है.