‘सहायक शिक्षकों को हेडमास्टरों के बराबर वेतन दे यूपी सरकार…’ सुप्रीम कोर्ट का टीचरों के पक्ष में आया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने सहायक शिक्षकों के मामले में सुनवाई करते हुए एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने यूपी सरकार और शिक्षकों की दलीलें सुनने के बाद राज्य सरकार को आदेश दिया कि जिन सहायक अध्यापकों को इंचार्ज हेडमास्टर बनाया गया है, उन्हें हेडमास्टरों के बराबर पूरा वेतन दिया जाए.

यूपी में सहायक अध्यापकों और सरकार के बीच वेतन को लेकर मची खींचतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया. दोनो पक्षों को सुनने के बाद 13 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि जिन सहायक अध्यापकों को स्कूलों में इंचार्ज हेडमास्टर की जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें हेडमास्टर के बराबर वेतन दिया जाए. शिक्षक इस फैसले को न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम करार दे रहे है.
ऐसे शुरू हुआ मामला
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सालों से बड़ी तादाद में सहायक अध्यापक हेडमास्टर के तौर पर काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें सिर्फ सहायक अध्यापक का वेतन ही दिया जा रहा था. इस नीति के खिलाफ शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. 30 अप्रैल 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि “कार्य के अनुरूप वेतन मिलना चाहिए” इसके साथ ही राज्य सरकार को इन शिक्षकों को हेडमास्टर के वेतन के साथ बकाया भुगतान करने के भी निर्देश दिए गए थे.
सरकार ने दी चुनौती
लेकिन राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया. सरकार ने तर्क दिया कि इंचार्ज हेडमास्टर की नियुक्ति का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया और हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सहायक टीचरों के पक्ष में फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
यही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर सख्त टिप्पणी भी की. कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों का शोषण बंद कीजिए. आप बिना हेडमास्टर के स्कूल चला रहे हैं और मेहनत करने वालों को उनका हक नहीं दे रहे है. कोर्ट ने ये भी साफ किया कि यदि कोई शिक्षक हेडमास्टर का कार्य कर रहा है, तो उसे उसी पद का वेतन मिलना चाहिए. कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी इंचार्ज हेडमास्टरों को 31 मई 2014 से बकाया वेतन दिया जाए. इस फैसले से 50 हजार से भी अधिक शिक्षकों को फायदा मिलेगा.



