डिप्टी CM बृजेश पाठक पर टिप्पणी करना पड़ा महंगा, बीजेपी ने दो नेताओं को थमाया कारण बताओ नोटिस
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी और पूर्व जिला अध्यक्ष मनोज शुक्ला को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया है.यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो के बाद हुई जिसमें वारसी डिप्टी सीएम और सांसद पर आरोप लगाते दिख रहे हैं. पार्टी ने दोनों नेताओं को सात दिन में जवाब देने को कहा है. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनपर अनुशासनात्मक कार्रवाई की करने की बात कही गई है.
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में अपने दो वरिष्ठ नेताओं, पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी और पूर्व जिला अध्यक्ष मनोज शुक्ला को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया है. यह कार्रवाई तब हुई जब सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में अनिल शुक्ला वारसी द्वारा डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और स्थानीय सांसद देवेंद्र सिंह भोले के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणियां सामने आईं. पार्टी ने दोनों नेताओं को सात दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है.
विवाद का केंद्र बिंदु एक वायरल वीडियो है, जिसमें अनिल शुक्ला वारसी को 24 जुलाई 2025 को अकबरपुर कोतवाली में धरने के दौरान डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से फोन पर तीखी बातचीत करते देखा गया. इस वीडियो में वारसी ने पाठक पर ब्राह्मण समुदाय की उपेक्षा करने और उनकी सुरक्षा में नाकाम रहने का आरोप लगाया. उन्होंने कथित तौर पर कहा कि या तो मैं राजनीति छोड़ दूं, या फांसी लगा लूं.
सांसद देवेंद्र सिंह भोले पर लगाए गुंडागर्दी का आरोप
इसके अलावा, वारसी ने स्थानीय सांसद देवेंद्र सिंह भोले और उनकी टीम पर गुंडागर्दी, जमीन कब्जाने और अनैतिक कार्यों में शामिल होने के गंभीर आरोप लगाए. यह धरना उनकी पत्नी और योगी सरकार में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला के साथ आयोजित किया गया था. इसमें स्थानीय पुलिस पर बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ फर्जी एससी/एसटी मामले दर्ज करने का आरोप लगाया गया था. पूर्व जिला अध्यक्ष मनोज शुक्ला पर भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है.
भाजपा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोनों नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया. नोटिस में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो का स्पष्ट उल्लेख किया गया है, जिसमें पार्टी के खिलाफ की गई टिप्पणियां और गतिविधियां शामिल हैं. पार्टी ने अनिल शुक्ला वारसी और मनोज शुक्ला से सात दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है, अन्यथा आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.
क्या बीजेपी में है आंतरिक भेद?
अनिल शुक्ला वारसी 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर बिल्हौर (कानपुर) से सांसद चुने गए थे. बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और 2015 में भाजपा में आए. उनकी पत्नी प्रतिभा शुक्ला वर्तमान में अकबरपुर-रानिया से विधायक और योगी सरकार में राज्यमंत्री हैं. दूसरी ओर, मनोज शुक्ला सितंबर 2023 में कानपुर देहात के जिला अध्यक्ष नियुक्त हुए थे और तब उनकी नियुक्ति का कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया था.
इस पूरे प्रकरण ने बीजेपी के आंतरिक मतभेदों को उजागर कर दिया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को भुनाते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जब एक मंत्री को अपनी ही पुलिस के खिलाफ धरना देना पड़े, तो यह सरकार की विफलता का सबूत है. विपक्षी दलों ने इस घटना को बीजेपी की एकता और शासन व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल किया है.
सात दिनों की समयसीमा के भीतर अनिल शुक्ला वारसी और मनोज शुक्ला के जवाब पर सभी की नजरें टिकी हैं. यदि दोनों नेता संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे, तो पार्टी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है.