बेटे-बहू ने किया बेदखल, 7 साल बाद ‘बागवान’ को ऐसे मिला न्याय; हैरान कर देगी कानपुर की ये कहानी

कानपुर में 'बागवान' जैसी कहानी सामने आई है, जहां 75 वर्षीय संतोष कुमार द्विवेदी और उनकी पत्नी को बेटे-बहू ने घर से निकाल दिया था. सात साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने और हाईकोर्ट व जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद, बुजुर्ग दंपत्ति को अंततः अपना घर वापस मिल गया. यह घटना वरिष्ठ नागरिक अधिनियम की महत्ता को दर्शाती है.

कानपुर में घर से बेदखल मां-बाप का डीएम ने कराया गृह प्रवेश Image Credit:

आपने बॉलीवुड की फिल्म बागवान तो देखी ही होगी. इस फिल्म में अपने ही बेटे-बहू माता-पिता का ना केवल बंटवारा कर देते हैं, बल्कि उन्हें घर से बेघर भी कर देते है. कुछ ऐसी ही कहानी उत्तर प्रदेश के कानपुर में देखने को मिली है. हालांकि 7 साल तक दर-दर की ठोकरें खाने और हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ने के बाद इस बागवान को अपना घर वापस मिल गया है. मामला कानपुर में नौबस्ता स्थित न्यू आज़ाद नगर का है. यहां रहने वाले 75 वर्षीय संतोष कुमार द्विवेदी और उनकी पत्नी को सात वर्ष बाद कानून की मदद से अपना हक हासिल हो सका है.

साल 2018 में उनके पुत्र और पुत्रवधू ने घर से बेदखल किया था. इसके बाद से वह कुछ दिन रिश्तेदारों के पास रहे. फिर किराए के मकानों में भटकते रहे. सोमवार को डीएम कानपुर के हस्तक्षेप और चकेरी पुलिस की मौजूदगी में उन्होंने अपने ही घर में दोबारा से गृहप्रवेश किया. जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की अदालत में चले मुकदमे में बुजुर्ग दंपती ने आरोप लगाया था कि उनके पुत्र और पुत्रवधू ने उन्हें न केवल मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना दी, बल्कि उम्रभर की कमाई से बने मकान से भी बेदखल कर दिया.

हाईकोर्ट भी पहुंचा मामला

उनकी शिकायत काफी समय तक निचली अदालत में घिसटती रही. फिर मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा. जहां से डीएम को इस मामले में खुद सुनवाई के निर्देश मिले थे. डीएम कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया. इसमें साफ हो गया कि संतोष द्विवेदी के भवन संख्या 73, न्यू आज़ाद नगर का 100 वर्गगज हिस्सा खुद उन्हीं के नाम है. इसी के साथ साल 2017 के दर्ज दानपत्र से भी उनकी मालिकाना हक की पुष्टि हुई. अदालत ने पाया कि भूतल पर दो कमरे, रसोई, शौचालय एवं स्नानघर पूरी तरह आवास योग्य हैं.

डीएम ने दिलाया कब्जा

मामले की सुनवाई करते हुए डीएम ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम-2007 का मूल उद्देश्य बुजुर्गों को उनकी ही संपत्ति व निवास से वंचित होने से बचाना है. कोई भी संतान उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध घर से नहीं निकाल सकती. इसी आधार पर डीएम ने तत्काल प्रभाव से भूतल के दो कमरे, किचन, लैट्रिन-बाथरूम में दंपती को गरिमापूर्ण निवास का अधिकार दिया और चकेरी थाना प्रभारी को घर में प्रवेश कराने के निर्देश दिए. इसके बाद सोमवार की दोपहर पुलिस बल के साथ संतोष द्विवेदी दंपती का पुलिस ने गृहप्रवेश कराया.