जहां गाय के दूध से प्रकट हुए शिवलिंग, वही है कानपुर का वनखण्डेश्वर धाम

कानपुर के पी रोड पर स्थित वनखण्डेश्वर मंदिर 250 सालों से भी ज्यादा पुराना है. इस मंदिर की विशेषता इसके चारों ओर बने चार द्वार हैं. इन चारों द्वार में से कहीं से भी भक्त आकर दर्शन कर सकते हैं. मंदिर में शिवलिंग कैसे प्रकट हुआ है और इसके पीछे की कहानी भी काफी रोचक है. आइए जानते हैं महादेव यहां कैसे विराजे.

वनखण्डेश्वर मंदिर Image Credit:

आज सावन महीने के पहले दिन सभी शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ दिखाई देने लगी. हर भक्त की कामना है कि इस पवित्र महीने में भगवान शिव के आशीर्वाद का ले सके. अगर हम कानपुर की बात करें तो यहां पर सैकड़ों साल पुराना ऐसा शिव मंदिर स्थापित है, जहां भक्तों की आस्था और विश्वास बहुत गहरा है. इसी आस्था की डोर पर बसा हुआ वनखण्डेश्वर मंदिर है. ये मंदिर शहर के बीच में स्थित है. इस वजह से ये कई मायनों में खास है. इस मंदिर में शिवलिंग के प्रकट होने की कथा भी काफी दिलचस्प है. इस मंदिर के द्वार भी चारों दिशाओं में है जो बहुत ही कम जगह में हैं.

कहां पर है ये मंदिर?

कानपुर के पी रोड मार्केट में ये मंदिर है. यह क्षेत्र आम लोगों की खरीददारी का सबसे अहम स्थान है. यहां पर बेहद वाजिब दामों में सुई से लेकर तलवार तक सब मिल जाता है. इसी जगह पर भगवान शिव का वनखण्डेश्वर मंदिर स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि ये मंदिर तकरीबन 250 साल से भी ज्यादा पुराना है. मान्यता है कि इस जगह पर उस समय जंगल हुआ करता था. एक बार कोई गाय घूमते हुए वहां पहुंच गई और उसका दूध निकल गया. जब वहां खुदाई की गई तो वहां शिवलिंग प्रकट हुआ. इसके बाद वहां पूजा शुरू हो गई.

इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि इसके चारों तरफ से द्वार बने हुए हैं. यहां के पुजारी ने बताया कि इसकी वजह से भक्त किसी भी दिशा से शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं. इस तरह के चार द्वार वाले शिव मंदिर काफी कम होते हैं. इस प्राचीन मंदिर में महादेव के साथ उनका परिवार विराजमान है. मंदिर में संकटमोचन हनुमान प्रभु के साथ श्रीकृष्ण सहित कई देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर में तीन पहर भगवान का चोला बदला जाता है. दिन में महादेव के रौद्र स्वरूप के दर्शन होते हैं. जबकि, शयन आरती के बाद महादेव का विनम्र रूप होता है.