यूपी में क्या प्राइमरी टीचरों की आने वाली है वैकेंसी? मंत्री संदीप सिंह का गोलमोल जवाब
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में आज विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने शिक्षक और बच्चों के स्कूलों का अनुपात ठीक बताया, लेकिन आगे उन्होंने क्या कहा इसके बारे में जानते हैं.

उत्तर प्रदेश के मानसून सत्र के दूसरे दिन आज बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने आने वाले समय में प्राथमिक स्कूल टीचर्स की वैकेंसी को लेकर गोलमोल संभावनाएं जताई हैं. उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्कूलों में एक करोड़ 4 लाख 93 हजार 3 सौ 89 बच्चे इनरोल्ड हैं. इन स्टूडेंट के सापेक्ष 3 लाख 38 हजार 5 सौ 90 टीचर्स मौजूदा समय में स्कूलों में काम कर रहे हैं. 1 लाख 43 हजार 4 सौ 50 शिक्षामित्र भी इन्हीं स्कूलों में पठन-पाठन का काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही उच्च प्राथमिक और प्राथमिक स्कूलों के बच्चों और टीचर्स के अनुपात का जो मानक बनाया गया है उसके मुताबिक, प्राथमिक स्कूलों में 30 स्टूडेंस पर एक टीचर और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 35 स्टूडेंट पर एक होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि 43 लाख 14 हजार 8 सौ 3 बच्चे नामांकित हैं और एक लाख 20 हजार 8 सौ 60 टीचर्स कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि अगर हम इस अनुपात को देखें तो जो स्टूडेंट और छात्रों की अनुपात का मानक पूरा होता है. उन्होंने कहा कि हम इस प्रक्रिया को और बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
क्या हो सकती है प्राथमिक स्कूलों में टीचर्स की भर्ती?
बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि अगर 50 बच्चों का स्कूल है तो 50 बच्चों के स्कूलों पर हम तीन शिक्षक यानी दो सहायक अध्यापक और एक शिक्षामित्र की नियुक्ति करेंगे. उन्होंने कहा कि इस मानक को पूरा करने के लिए और शिक्षकों की उपलब्धता को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है. इसके बाद जितनी भी हमारी छात्र संख्या होगी उसमें तीन शिक्षकों के मानक को पूरा करने में जो भी गैप होगा उसे पूरा किया जाएगा.
क्या हुआ है नया बदलाव?
बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने एक भी विद्यालय को बंद करने का निर्णय नहीं लिया है. बेसिक शिक्षा विभाग के अंदर जो परिषदीय विद्यालय हैं उनको बंद नहीं किया जाएगा. इन विद्यालयों को जो कोड दिया जाता है वो यथावत बना रहेगा. विद्यालय जिस तरह से बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत चल रहा था, उसी तरह से चलता रहेगा
इस प्रक्रिया में बदलाव के रूप में कक्षा एक में एडमिशन के लिए स्टूडेंट की जो आयु है उसे 6 साल निर्धारित कर दिया गया है. ये अनिवार्य नियम बनाए गए हैं कि कक्षा 1 से लेकर 8 तक के बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षा मिलनी चाहिए. इसी अधिकार का हमलोग पालन कर रहे हैं.



