‘निदेशक से फाइल पास करा दूंगा’, कहकर मांगे थे 50 हजार, 8 साल बाद BBAU के ऑफिस असिस्टेंट को 4 साल की जेल
जून 2017 में BBAU में तैनात ऑफिस असिस्टेंट विजय कुमार द्विवेदी पर एक शिक्षक से कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूअल कराने के एवज में 50 हजार रुपये की डिमांड का आरोप लगा था. अब सीबीआई कोर्ट ने आरोपी विजय को इस मामले में दोषी पाया है और 8 साल बाद 4 साल की सजा सुनाई है.
CBI की विशेष अदालत ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (UIET) में तैनात रहे ऑफिस असिस्टेंट विजय कुमार द्विवेदी को भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में दोषी ठहराते हुए 4 साल की सश्रम कारावास और 30,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
यह मामला जून 2017 का है, जब UIET में बतौर कॉन्ट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत एक शिक्षक ने शिकायत की थी कि उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूअल कराने के एवज में ऑफिस असिस्टेंट विजय कुमार द्विवेदी ने उनसे 50,000 रुपये की रिश्वत मांगी है. आरोपी ने दावा किया था कि वह UIET निदेशक के माध्यम से फाइल पास करवा देगा.
रंगे हाथों पकड़ा गया था ऑफिस असिस्टेंट
शिकायत मिलते ही सीबीआई की लखनऊ यूनिट ने तुरंत ट्रैप बिछाया. 2 जून 2017 को जब द्विवेदी शिकायतकर्ता से 50,000 रुपये की रिश्वत ले रहे थे, सीबीआई की टीम ने उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. मौके से पूरी रकम बरामद हुई और केमिकल टेस्ट में नोटों पर लगा पाउडर भी आरोपी के हाथों पर पाया गया.
8 साल तक चला मुकदमा
सीबीआई ने तेजी से जांच पूरी कर 1 अगस्त 2017 को ही चार्जशीट दाखिल कर दी थी. करीब 8 साल तक चले लंबे मुकदमे के बाद मंगलवार (9 दिसंबर 2025) को विशेष न्यायाधीश ने आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं में दोषी ठहराया.
ऐसे अपराधों पर सख्ती जरूरी- कोर्ट
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में इस तरह का भ्रष्टाचार न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर करता है, बल्कि मेधावी शिक्षकों का मनोबल भी तोड़ता है. ऐसे अपराधों पर सख्ती जरूरी है. जुर्माना न भरने पर आरोपी को अतिरिक्त 3 महीने की सजा भुगतनी होगी.
फिलहाल विजय कुमार द्विवेदी को जेल भेज दिया गया है. यह मामला एक बार फिर उच्च शिक्षण संस्थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है, जहां नौकरी और कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूअल के नाम पर खुले आम रिश्वतखोरी होती रही है. सीबीआई की त्वरित कार्रवाई और अदालत का सख्त रुख इस बात का संदेश देता है कि भ्रष्टाचार करने वालों को अब देर-सवेर सजा जरूर मिलेगी.
