पैसा लिया लेकिन नहीं दिया प्लॉट… कहानी उस घोटालेबाज की, जिसने लोगों से लूटे ₹49 हजार करोड़

यूपी की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW ने घोटाले के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए PACL घोटाले के मास्टरमाइंड गुरनाम सिंह को हिरासत में ले लिया है. आरोप है कि उसने इन्वेस्टमेंट कंपनी की शाखाओं के जरिए 10 राज्यों में करीब 49000 करोड़ रुपए की हेराफेरी की थी. हांलाकि आरोपी काफी वक्त से फरार चल रहा था.

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी गुरनाम सिंह Image Credit:

यूपी की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW ने देश के सबसे बड़े आर्थिक घोटालों में से एक PACL घोटाले के मास्टरमाइंड गुरनाम सिंह को धर दबोचा है. EOW ने उसे 9 जुलाई को पंजाब के रोपड़ से गिरफ्तार किया. इसे बड़ी सफलता के तौर पे देखा जा रहा है. इस घोटाले में करीब 49000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था. जिससे देशभर के करीब 5.5 करोड़ निवेशक को झटका लगा था. इस कार्रवाई के बाद निवेशक कुछ राहत महसूस कर रहे हैं.

चल रहा था फर्जीवाड़े का खेल

ये कंपनी 1996 में राजस्थान के जयपुर में ‘गुरुवंत एग्रोटेक लिमिटेड’ के नाम से शुरु हुई थी, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर PACL रख दिया गया. कंपनी ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, असम, दिल्ली, बिहार, केरल और मध्य प्रदेश सहित देश के 10 राज्यों में अपनी शाखाओं के जरिए रियल एस्टेट निवेश के नाम पर आम लोगों से ठगी की. कंपनी के खिलाफ रेकरिंग डिपॉजिट, फिक्स्ड डिपॉजिट और भूखंड आवंटन जैसी योजनाओं के जरिए लाखों लोगों को लुभाने के भी आरोप लगे हैं.

23 लाख एजेंटों का नेटवर्क

PACL की सबसे बड़ी ताकत उसकी नेटवर्किग था, जिसके तहत करीब 23 लाख एजेंट काम कर रहे थे. यही नेटवर्क कंपनी के अवैध कामों का जरिया बना. खासतौर पर उत्तर प्रदेश में. इसके झांसे में महोबा, जालौन, फर्रुखाबाद जैसे जिलों में हजारों लोग आ गए और अपनी जमा-पूंजी गंवा बैठे.

सुप्रीम कोर्ट ने जांच के दिए निर्देश

जांच में ये पता चला है कि PACL न तो किसी वित्तीय नियामक के तहत रजिस्टर्ड थी और न ही उसके पास बैंकिंग गतिविधियां संचालित करने की कोई परमिशन थी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2013 में CBI और SEBI ने इस घोटाले की जांच शुरू की थी.
हांलाकि तब तक कंपनी के कई अधिकारी फरार हो चुके थे.

मिली शिकायतों के बाद EOW IPC की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था. इसमें गुरनाम सिंह समेत 10 लोगों को नामजद किया गया था.