कफ सिरप गैंग की ऐसी दहशत… आलोक-शुभम की कोठियों के मूल्यांकन को नहीं मिल रहे एक्सपर्ट

कफ सिरप गैंग के आलोक प्रताप सिंह और शुभम जायसवाल की अवैध संपत्ति के मूल्यांकन में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. गैंग की दहशत के चलते विशेषज्ञ उनकी आलीशान कोठियों का मूल्यांकन करने से डर रहे हैं. करोड़ों रुपये के आलीशान इंटीरियर वाली इन संपत्तियों का आंकलन करने के लिए ED को बाहर से एक्सपर्ट बुलाने पड़े हैं.

शुभम जायसवाल की बनारस में कोठी

कफ सिरप गैंग के भंडाफोड़ के बाद मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी शामिल हो गई है. ईडी ने अवैध कमाई से बनाई इस गैंग की प्रापर्टी का मूल्यांकन शुरू कर दिया है. लेकिन इसमें भी गैंग के लोगों की दहशत ऐसी है कि ईडी को इस प्रापर्टी के मूल्यांकन के लिए विशेषज्ञ नहीं मिल पा रहे हैं. ईडी जिन विशेषज्ञों को लेकर इनकी कोठियों पर पहुंचते हैं, ये लोग नाम सुनते ही वहां से भाग निकलते हैं. शनिवार को यूपी एसटीएफ से बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह और की लखनऊ स्थित कोठी और शुभम जायसवाल के वाराणसी स्थित कोठी पर यही स्थिति देखने को मिली.

ईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इन दोनों कोठियों पर तीन दिन से तलाशी और जांच ऑपरेशन चल रहा है. इसी क्रम में शनिवार को दोनों कोठियों पर मिले लग्जरी सामानों के मूल्यांकन के लिए एक्सपर्ट बुलाए गए थे. ईडी ने इन विशेषज्ञों के सामने आलोक की कोठी में मिले जमीनों के दस्तावेज रखे. इसके अलावा कोठी में कराए गए इंटीरियर और एक्सटीरियर के काम का आंकलन करने को कहा. लेकिन एक के बाद एक तीनों एक्सपर्ट यह कहते हुए भाग गए कि ये दबंग लोग हैं. उधर, शुभम जायसवाल के घर तो कोई एक्सपर्ट आने को ही तैयार नहीं हुआ. मजबूरी में ईडी ने आलोक के घर का मूल्यांकन बनारस के एक्सपर्ट से और शुभम के घर का मूल्यांकन लखनऊ से एक्सपर्ट भेजकर कराया.

इंटीरियर में ही करोड़ों खर्च का आंकलन

ईडी के सूत्रों के मुताबिक बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह और शुभम जायसवाल की कोठियों में केवल इंटीरियर का काम ही करोड़ों रुपये की लागत से कराया गया है. इसमें जमीन और उसपर इमारत बनाने का खर्च शामिल नहीं है. इन दोनों कोठियों में इंटीरियर डेकोरेशन के लिए ना केवल विदेशी टाइल्स लगाए गए हैं, बल्कि पर्दे, टॉयलेट सीट, एसी, फ्रीज, एग्जास्ट, झूमर, दीवारों का रंग रोगन, लाइटिंग एवं अन्य डेकोरेशन आइटम काफी महंगे हैं. ईडी के अधिकारियों के मुताबिक आलोक और शुभम ने अवैध रूप से कमाई गई रकम को अपना घर सजाने में दिल खोलकर खर्च किया है.

घर वालों से नहीं मिली ठोस जानकारी

इस जांच में ईडी ने खासतौर पर आलोक और शुभम के उन फर्मों की जानकारी जुटाने की कोशिश की, जिनसे इन्होंने अपनी काली कमाई को सफेद बनाने की कोशिश की थी. हालांकि दोनों के घर वालों से ईडी को कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है. ईडी अधिकारियों के मुताबिक आलोक के परिजनों ने ना तो उसके फर्मों की जानकारी दी है और ना ही यह बताया है कि कोठी में लगी इतनी मोटी रकम वह कहां से लाया. ऐसे में अब ईडी के अधिकारियों ने कोर्ट से अनुमति लेकर आलोक से जेल में ही पूछताछ करने का फैसला किया है. फिलहाल आलोक एसटीएफ की रिमांड पर है और आज ही उसकी रिमांड अवधि खत्म हो रही है.

अफसरों का दिलासा भी नहीं आया काम

लखनऊ में आलोक की कोठी पर मूल्यांकन करने आए विशेषज्ञों ने जब मना कर दिया तो ईडी के अफसरों ने उन्हें सुरक्षा का भरोसा देने की खूब कोशिश की, लेकिन विशेषज्ञों ने साफ कह दिया कि अब अभी तो सुरक्षा दे देंगे, लेकिन आपके जाने के बाद ये दबंग उनकी जान ही ले लेंगे. काफी कोशिशों के बाद भी सफलता नहीं मिली तो ईडी ने बाहर से विशेषज्ञों को बुलाकर जमीन मकान की पैमाइश कराई और घर के अंदर मिले लग्जरी सामानों की कीमतों का आंकलन कराया. इस दौरान दोनों कोठियों में 5 करोड़ से अधिक की संपत्ति होने की जानकारी मिली है.