आख़िरकार बैठ गई जांच… कानपुर CMO का विवाद कहां से शुरू हुआ और कहां तक पहुंचा?
कानपुर में CMO को लेकर छिड़ा घमासान थमने का नाम नही ले रहा है. आरोपों से शुरू हुआ ये सिलसिला निलंबन और फिर हाईकोर्ट के बहाली आदेश तक पहुंच गया. इसके बाद अब सरकार ने पूर्व CMO हरिदत्त नेमी के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. सबसे बड़ा सवाल सवाल ये है कि जब कोर्ट ने उन्हें बहाल करने के आदेश दे दिए थे, तो आखिर जांच कराने के पीछे का मकसद क्या है.
यूपी के कानपुर में CMO को लेकर महीनों से चल रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर फिर से बहाल हुए सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी के खिलाफ यूपी सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं. प्रिंसिपल सेक्रेटरी पार्थ सारथी सेन शर्मा ने उन पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निर्देशों का पालन न करने, शासनादेशों की अवहेलना और लापरवाही समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
ऐसे शुरू हुआ मामला
19 जून 2025 को डॉ. हरिदत्त नेमी को कानपुर के CMO के पद से निलंबित कर दिया गया थ. ये निलंबन DM की रिपोर्ट के बाद हुआ था. हांलाकि इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल देखने को मिली थी. इसे लेकर बीजेपी के भीतर ही दो धड़े देखने को मिले थे. डीएम ने डॉ. नेमी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए शासन को पत्र लिखकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. हांलाकि चर्चा ये भी है कि ये एक्शन DM और CMO के बीच टकराहट का नतीजा है.
हालांकि डॉ. नेमी ने अपने निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 8 जुलाई को कोर्ट ने उनके निलंबन पर रोक लगाते हुए उन्हें फिर से बहाल कर दिया. इतना ही नही कोर्ट ने यूपी सरकार को 4 हफ्तों के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को भी कहा.
सरकार करेगी जांच
कोर्ट के इस फैसले के बाद 9 जुलाई को कानपुर CMO ऑफिस में दो- दो अधिकारी दिखाई दिए. इसके चलते विवाद की स्थिति देखने को मिली. दोनों के अपने- अपने दावे थे. डॉ. नेमी कोर्ट के आदेश का हवाला दे रहे थे, तो वहीं वहां पहले से तैनात डॉ उदयनाथ सरकार के आदेश की बात कह रहे थे. लेकिन अब इसे लेकर यूपी सरकार ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत जांच के आदेश दिए हैं.
इसकी रिपोर्ट एक महीने के भीतर शासन को सौंपने को कहा गया है. फिलहाल डॉ. नेमी ने जांच में सहयोग करने की बात की है. अब देखने वाली बात होगी कि ये मामला कहां तक जाएगा और आखिरकार इसका नतीजा क्या निकलेगा.