जाम और भीड़ से मुक्त लखनऊ! SCR के 6 जिलों में बनेगा 300 किमी लंबा आउटर रिंग रोड, खुश कर देगा सरकार का प्लान
लखनऊ की बढ़ती भीड़ और जाम की समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार 300 किमी लंबा आउटर रिंग रोड का प्रोजेक्ट तैयार किया है. यह रिंग रोड SCR के सभी 6 जिलों को लखनऊ से जोड़ेगा, जिससे राजधानी में यातायात का दबाव कम होगा और इन जिलों में विकास होगा. इससे लखनऊ में रहने वालों को भी राहत मिलेगी और आसपास के जिलों में निवास करने वालों के लिए लखनऊ का आवागमन आसान होगा.
नवाबों की नगदी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बसने का ख्वाब तो हर कोई देखता है. यही वजह है कि लखनऊ में भीड़ तेजी से बढ़ रही है. इसका प्रत्यक्ष नजारा रोज सुबह शाम सड़कों लगने वाले जाम के रूप में देखने को मिल रहा है. लेकिन अब सरकार ने इस समस्या का समाधान खोज लिया है. यह समाधान दिल्ली-एनसीआर की तर्ज पर लखनऊ-एससीआर के रूप में है. उत्तर प्रदेश सरकार योजनावद्ध तरीके से एससीआर के विकास पर काम कर रही है. यही नहीं, एससीआर से लखनऊ की बेहतर कनेक्टिविटी के लिए 300 किमी लंबा आउटर रिंग रोड बनाया जाएगा.
जानकारी के मुताबिक यह रिंग रोड एससीआर में शामिल पांच जिलों सीतापुर, रायबरेली, बाराबंकी, हरदोई और उन्नाव को लखनऊ से कनेक्ट करेगा. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर लोग राजधानी की भीड़ में रहने के बजाय इन पांच जिलों में बसने को प्राथमिकता देंगे. वहीं इस सड़क की वजह से उनके घर से लखनऊ का सफर महज कुछ मिनटों का रह जाएगा. इन जिलों के साथ हाई-स्पीड कनेक्टिविटी का बड़ा फायदा यह होगा कि लखनऊ की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा. सरकार की मंशा है कि लखनऊ में बसने का प्लान बना रहे लोग अब इन जिलों में भी विकल्प तलाश सकते हैं.
लगेंगे बड़े बड़े उद्योग
अधिकारियों के मुताबिक एससीआर बनाने का मुख्य मकसद बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयों को लखनऊ एवं आसपास के जिलों में स्थापित कराने का है. जिससे यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और प्रदेश से युवा शक्ति का पलायन थमेगा. इसके अलावा राजधानी लखनऊ समेत इन सभी जिलों में एलडीए और कई बड़ी आवास विकास परियोजनाओं का भी खाका तैयार किया गया है. यही नहीं, प्रोजेक्ट शुरू होते ही एससीआर में शामिल जिलों की जमीन महंगी हो जाएगी. इससे किसानों को भी फायदा होगा.
किसान पथ की तर्ज पर रिंग रोड की डिजाइन
आउटर रिंग रोड की डिजाइन किसान पथ की तर्ज पर होगी. इसे लखनऊ से 15-20 किलोमीटर की दूरी पर बनाया जाएगा. यह सड़क SCR के सभी छह जिलों को एक सर्कुलर नेटवर्क में जोड़ेगी. इससे यात्रा का समय कम होगा और यातायात सुगम होगा. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार के मुताबिक 300 किलोमीटर लंबी सड़क क्षेत्र की यातायात व्यवस्था को क्रांतिकारी रूप से बदल देगी. लोग आसानी से लखनऊ और अपने जिले के बीच आवागमन कर सकेंगे. यह रोड अन्य प्रमुख हाईवे जैसे आगरा एक्सप्रेसवे और सुल्तानपुर रोड को भी कनेक्ट करेगी. जिससे बाहरी वाहन बिना शहर में आए ही अपने गंतव्य की ओर जा सकेंगे.
कंसलटेंट ने सौंपा मोबिलिटी प्लान
इस प्रोजेक्ट के लिए चेन्नई की एक कंसल्टेंट फर्म को नियुक्त किया गया है. इस फर्म ने मोबिलिटी प्लान की रिपोर्ट सौंप दी है. इसमें हाई-स्पीड कनेक्टिविटी, एलिवेटेड कॉरिडोर और टिकाऊ बुनियादी ढांचे पर फोकस किया गया है. एलडीए के वीसी प्रथमेश कुमार के मुताबिक एक साल में SCR के प्रशासनिक ऑफिस को रन करने का लक्ष्य है. वहीं साल 2026 में टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी और सड़क का काम शुरू कर दिया जाएगा. इसके लिए बजट को प्रोजेक्ट की प्रगति के आधार पर तय किया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रस्तावित रिंग रोड अयोध्या, वाराणसी, कानपुर और अन्य शहरों से आने वाले वाहनों के लिए बायपास का काम करेगी. इससे बाहरी वाहनों को शहर में आने की जरूरत नहीं होगी.
खुद सीएम हैं UPSCRDA के चेयरमैन
लखनऊ में प्रस्तावित एससीआर प्रोजेक्ट पर उत्तर प्रदेश स्टेट कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPSCRDA) काम कर रही है. इस अथॉरिटी के चेयरमैन खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ है. इस अथॉरिटी में उपाध्यक्ष मुख्य सचिव हैं. इनके अलावा 21 सदस्यीय कार्यकारी समिति भी गठित हो चुकी है. इसमें नगर विकास, लोक निर्माण, परिवहन और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया हैं. यह समिति परियोजना को समयबद्ध और समन्वित तरीके से पूरा करने के लिए काम करेगी.