बिकेगा सहारा बाजार कॉम्प्लेक्स, तय की गई डेट , नीलामी के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी शुरू

सहारा बाजार कॉम्पलेक्स को 1987 में सहारा इंडिया हाउसिंग कॉर्पोरेशन ने 30 साल की लीज लिया था. 2017 में लीज की अवधि समाप्त हो गई. दोबारा इसका नवीनीकरण नहीं किया गया. मई 2025 में एलडीए ने लीज निरस्त कर दी और जून में इसकी जमीन पर कब्जा ले लिया. अब यह कॉम्पलेक्स बिकने को तैयार है.

सहारा बाजार कॉम्पलेक्स Image Credit:

कभी  ‘शान-ए सहारा’ नाम से जाना जाने वाला लखनऊ के गोमतीनगर का सहारा कॉम्पलेक्स अब बिकने जा रहा है. इसके लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने नीलामी की तारीख तय कर दी. 10 नवंबर 2025 को प्रस्तावित इस कॉम्पलेक्स की नीलामी के लिए आरक्षित कीमत 85 करोड़ रुपये रखी गई. लेकिन माना जा रहा है कि नीलामी के दौरान इसकी वास्तविक कीमत 150 करोड़ तक पहुंच सकती है.

विभूति खंड में वेव मॉल के पास स्थित इस कॉम्पलेक्स को 1987 में सहारा इंडिया हाउसिंग कॉर्पोरेशन को 30 साल की लीज पर दिया गया था. 4741 वर्ग मीटर में फैले इस कॉम्पलेक्स में करीब 150 दुकानें हैं. इसकी लीज की अवधि 2017 में ही समाप्त हो गई थी. दोबारा इसका नवीनीकरण नहीं कराए जाने के चलते एलडीए ने मई 2025 में लीज को निरस्त कर दिया और जून में इसकी जमीन पर कब्जा ले लिया.

कॉम्पलेक्स की स्थिति काफी जर्जर

एलडीए के अधिशासी अभियंता मनोज सागर ने बताया कि कॉम्पलेक्स की स्थिति काफी ज्यादा जर्जर हो चुकी है. नीलामी के बाद खरीदार इसे तोड़कर नया निर्माण कर सकता है. फिलहाल, इस जमीन को फ्री होल्ड कर दिया. ऐसे में इसे लेने के लिए लीज का कोई झंझट नहीं होगा. इसका भू उपयोग व्यवसायिक है, इसलिए यहां नए निर्माण में भी कोई दिक्कत नहीं होगी.

‘शान-ए-सहारा’ की चमक क्यों फीकी पड़ी?

80 और 90 के दशक में सहारा बाजार कॉम्पलेक्स लखनऊ में मॉल कल्चर का प्रतीक था. उस समय हजारों लोग इसकी चमक-दमक देखने पहुंचते थे. लेकिन शहर में नए और आधुनिक मॉल्स के खुलने के साथ इसकी रौनक कम होती गई. आज इस कॉम्पलेक्स की स्थिति बेहद खराब है.

अधिशासी अभियंता मनोज सागर ने बताया कि नीलामी के लिए पंजीकरण शुरू हो चुका है. इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. हालांकि, एलडीए के फैसले के विरोध में कुछ दुकानदारों ने कोर्ट का रुख किया था, लेकिन कोई स्थगन आदेश नहीं मिला. ऐसे में नीलामी के लिए कोई कानूनी अड़चन नहीं है.

गोमतीनगर का विभूति खंड लखनऊ का एक पॉश और तेजी से विकसित होता इलाका है. जानकारों के मुताबिर नीलामी में अगर कॉम्पलेक्स की जमीन की कीमत 150 करोड़ रुपये से भी चली गई तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. नया खरीदार इस जर्जर कॉम्पलेक्स को तोड़कर अपना कोई आधुनिक व्यावसायिक परियोजना शुरू कर सकता है.