13 साल की नौकरी बची फिर भी IAS अनामिका सिंह ने अचानक क्यों ले लिया VRS
उत्तर प्रदेश कैडर की IAS अनामिका सिंह ने महज 21 साल की सेवा के बाद VRS ले लिया है. अपने करियर में वे सिर्फ चार महीने DM रहीं. केंद्र में डेपुटेशन की बार-बार कोशिशें नाकाम रहने और NOC न मिलने से निराश होकर उन्होंने यह कदम उठाया. कहा जा रहा है कि उनकी कार्यशैली शानदार रही, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें पर्याप्त मौके नहीं दिए.
उत्तर प्रदेश कैडर की वरिष्ठ IAS अनामिका सिंह ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली है. 2004 बैच की आईएएस अनामिका सिंह लंबे समय से केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर जाना चाहती थीं. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार बार-बार इसके लिए NOC (No Objection Certificate) देने से मना कर दे रही थी. आख़िर में निराश होकर अनामिका सिंह ने सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवा निवृति का फैसला लिया. अनामिका सिंह का करियर अपने आप में एक मिसाल है. उनकी गिनती शुरू से ही तेज तर्रार और होनहार अधिकारियों में होती रही है.
इसके बाद भी उन्हें लंबे समय तक उनकी तैनाती या तो सचिवालय में रही या फिर डीएम इन वेटिंग रहीं. साल 2006 में उनकी फील्ड पोस्टिंग शुरू हुई थी. तब से आज 21 साल होने को हैं, लेकिन इस अवधि में वह मुश्किल से चार महीने ही जिला मजिस्ट्रेट (DM) के रूप में काम कर सकी है. वह चित्रकूट में 28 अप्रैल 2008 से 26 जून 2008 मात्र 2 महीने डीएम रहीं. इसके बाद उन्नाव में उन्हें 20 मार्च 2012 से 26 मई 2012 तक डीएम बनाया गया था. इसके अलावा वह तीन बार “प्रतीक्षा पर” (waiting for posting) भी रही हैं.
केंद्र में शानदार रहा है ट्रैक रिकार्ड
माना जा रहा है कि किसी भी महत्वाकांक्षी अधिकारी के लिए यह बेहद निराशाजनक होता है. हालांकि केंद्र में उनका ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा. 2013 से 2018 तक स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, MHRD में वह अवर सचिव और उप सचिव रहीं हैं. इसके अलावा अक्टूबर 2018 से जुलाई 2021 तक वह नीति आयोग में निदेशक के महत्वपूर्ण पद पर रहीं. 2021 में यूपी लौटने के बाद उन्हें पहले बेसिक शिक्षा, फिर महिला कल्याण एवं बाल विकास, और आख़िर में पर्यावरण तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति जैसे बड़े विभागों की जिम्मेदारी मिली.
नीति आयोग में किया था शानदार प्रदर्शन
जून 2025 में उन्हें CEO, UP Clean Air Management Authority भी बनाया गया था. लेकिन केंद्र में फिर से डेपुटेशन की चाहत पूरी न होने और बार-बार NOC अटकाए जाने से तंग आकर अनामिका सिंह ने अब VRS लेने का फैसला कर लिया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “बहुत होनहार और ईमानदार होना ही उनके लिए बड़ा रोड़ा बन गया. नीति आयोग जैसे प्लेटफॉर्म पर बेहतरीन काम करके उन्होंने खुद को साबित तो किया, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें फील्ड में मौक़ा ही नहीं दिया. यहां तक कि उन्हें केंद्र भी नहीं जाने दिया.