लखनऊ के इस अतिक्रमण पर LDA का शिकंजा, अवैध निर्माण पर चला बुल्डोजर
लखनऊ के कैसरबाग में रिफाह-ए-आम क्लब में अवैध कब्जे को खाली कराने के लिए LDA का बुल्डोजर एक्शन देखने को मिला. अंग्रेजों के जमाने में भारतीय राजाओं ने इस क्लब को एक खास मकसद से 99 साल की लीज पे बनाया था. LDA अब इसे PPP मॉडल पर विकसित करने की तैयारी कर रहा है.

लखनऊ के ऐतिहासिक रिफाह-ए-आम क्लब को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए LDA के अधिकारी मंगलवार को भारी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे. इसके बाद अवैध कब्जे पर बुलडोजर एक्शन देखने को मिला. एलडीए की टीम ने क्लब परिसर में अवैध रूप से बने दुकानों और मकानों को ध्वस्त कर दिया. कार्रवाई के दौरान कुछ लोगों का विरोध भी देखने को मिला.
लेकिन प्रशासन के सख्ती दिखाते हुए अपनी कार्रवाई जारी रखी. क्लब के कुछ हिस्सों पर 22 दुकानदारों और कुछ परिवारों ने अवैध कब्जा कर रखा था. उन्हें 25 अगस्त तक कब्जा हटाने की चेतावनी दी गई थी. आदेश का पालन न होने पर कार्रवाई की गई.
अंग्रेजो के समय में था ये क्लब
LDA के अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि 2.18 लाख वर्गफीट में फैला रिफाह-ए-आम क्लब नजूल संपत्ति के तौर पे दर्ज है. 1886 में इसे 99 साल की लीज पर आवंटित किया गया था, नियमों के तहत ये लीज 1985 में खत्म हो चुकी है. इसके बाद इस क्लब को LDA के हवाले सौंप दिया गया. मौजूदा वक्त में इस भवन का बड़ा हिस्सा जर्जर हो चुका है.
PPP मॉडल पर होगा विकसित
अब इस क्लब परिसर को नए सिरे से विकसित करने की प्लानिंग है. इसे हेरिटेज लुक वाली बाउंड्रीवॉल से सुरक्षित किया जाएगा, जो इसकी ऐतिहासिकता का बेहतर एहसास कराएगा. इसके साथ ही सड़कें, पाथ-वे, हॉर्टीकल्चर, और लाइटिंग के इंतजाम किए हैं. क्लब को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर विकसित किया जाएगा. जिसके लिए जल्द टेंडर निकाले जाएंगे. इससे लखनऊ वालों को कैफेटेरिया, और स्पोर्ट्स जैसी आधुनिक सुविधाएं भी देखने को मिलेंगी.
राजाओं ने इस वजह से बनवाया था ये क्लब
19वीं सदी में अंग्रेजों के एमबी क्लब में भारतीय रजवाड़ों के दाखिल होने पर रोक थी. यहां ‘इंडियन्स एंड डॉग्स आर नॉट अलाउड’ का अपमानजनक बोर्ड लगा था. इससे आहत होकर ओयल, महमूदाबाद, और मनकापुर के राजाओं ने 1860 में कैसरबाग में रिफाह-ए-आम क्लब की स्थापना की. यह क्लब लखनऊ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है.