स्कूल मर्जर पर अभिभावकों की अपील, आज हाई कोर्ट में होगी सुनवाई

उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के मर्जर मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में आज सुनवाई की जा सकती है. कोर्ट ने सीतापुर के स्कूलों के विलय में अनियमितताओं के चलते जुलाई में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया था. सरकार ने स्कूल मर्जर नीति के कारणको कोर्ट के सामने साफ किया है, जबकि अभिभावकों ने बच्चों की स्कूली यात्रा में आने वाली कठिनाइयों का हवाला दिया है.

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उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के विलय मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में 21 अगस्त 2025 को सुनवाई होगी. मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष विशेष अपीलें गुरुवार को की जाएंगी. पिछली सुनवाई में 24 जुलाई को हाई कोर्ट ने सीतापुर के स्कूलों के विलय में सामने आई अनियमितताओं के मद्देनजर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. कोर्ट ने साफ किया था कि यह अंतरिम आदेश सरकार की स्कूल विलय नीति या इसके अमल की मेरिट पर टिप्पणी नहीं करता.सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने पेश किए गए डॉक्यूमेंट में अनियमितताएं उजागर हुई थीं. जिस वजह से सरकार ने स्पष्टीकरण हेतु समय मांगा था.

अभिभावकों ने दायर की अपील

कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को अगली सुनवाई तक हलफनामे का जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. यह मामला सीतापुर के 5 और 17 बच्चों ने अपने अभिभावकों के माध्यम से दायर विशेष अपीलों से संबंधित है. इसमें 7 जुलाई को एकल पीठ के विलय आदेश को रद्द करने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एलपी मिश्र और गौरव मेहरोत्रा और राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया और मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने पक्ष रखा. 7 जुलाई को एकल पीठ ने सीतापुर के 51 बच्चों समेत अन्य याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इसमें बेसिक शिक्षा विभाग के 16 जून के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत प्राथमिक स्कूलों को छात्र संख्या के आधार पर उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय करने का प्रावधान है.

क्या है स्कूल मर्जर का ममला?

उत्तर प्रदेश में सरकार की तरफ से 1-5 और 6-8 तक के बच्चों के स्कूलों को मर्जर करने की बात कही गई. स्कूलों को मर्ज करने के पीछे का कारण सरकार ने बताया है. सरकार का कहना है कि स्कूलों को मर्ज करने से यहां की पढ़ाई को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया जाएगा और स्कूलों की गुणवत्ता को बढ़ाने पर काम किया जाएगा. वहीं स्कूल मर्जर को लेकर यूपी के अलग-अलग जगहों को अभिभावकों का कहना है, अगर पास-पास के दो स्कूलों को मर्ज कर दिया जाएगा तो बच्चों को स्कूल में जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.