निठारी कांड की जांच में CBI फेल, जेल से बाहर आएगा सुरेंद्र कोली; सुप्रीम कोर्ट ने क्यों रद्द की सभी सजाएं?

निठारी कांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया है. इससे उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. शीर्ष अदालत ने पाया कि सीबीआई उसके खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रही है. इस फैसले ने सीबीआई की जांच पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल उठने लगा है कि क्या सबूत गढ़े गए थे या वास्तविक अपराधी अभी भी अज्ञात है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की रद्द की सजा

नोएडा के कुख्यात निठारी हत्याकांड की जांच में सीबीआई फेल हो गई है. इस जघन्य हत्याकांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली के खिलाफ आरोपों को सीबीआई कोर्ट में साबित ही नहीं कर पायी. ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ने कोली की सभी सजाओं को रद्द करते हुए उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ की अदालत में हुई. जहां कोर्ट ने 2011 के रिवीजन ऑर्डर को वापस लेते हुए अपील को स्वीकार कर लिया. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुरेंद्र कोली के खिलाफ दोष साबित होने के बाद उसे फांसी की सजा हुई थी. इस सजा के खिलाफ कोली ने सुप्रीम कोर्ट में निगरानी याचिका दाखिल की थी. जिसे सुप्रीमकोर्ट ने मंगलवार को स्वीकार कर लिया. नोएडा के कुख्यात नरसंहार मामले में कोली पर कुल 13 मुकदमे लगे थे. इनमें से 12 मामलों में वह पहले ही बरी हो चुका था. अब सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी मुकदमे में भी उसे बरी कर दिया है. इस फैसले के बाद कोली के जेल से बाहर आने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है.

क्या है निठारी कांड?

नोएडा के सेक्टर 31 से लगे निठारी गांव में 29 दिसंबर 2006 को नाले की सफाई हो रही थी. इसी दौरान एक व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी D5 के पीछे एक बच्चे का कंकाल मिला. सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और ठीक से सफाई कराई गई. इस दौरान इस नाले से कुल 8 बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे. आरोप लगा कि इन सभी बच्चों के साथ दुष्कर्म और कुकर्म करने के बाद सुरेंद्र कोली ने हत्या कर दी थी और उनके शवों को नाले में ठिकाने लगा दिया था. लोवर कोर्ट में आरोप प्रमाणित हुए और उसे सजा हो गई. इसके बाद फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा था.

हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दी फांसी की सजा

इस फैसले के बाद सुरेंद्र कोली ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की, लेकिन 2014 में यह याचिका भी खारिज हो गई तो उसे मर्सी पिटीशन दाखिल किया. चूंकि सरकार ने इसपर निर्णय लेने में देरी की तो जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में कनवर्ट कर दिया था. इसी दौरान हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2023 में कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया. ऐसे में आखिरी मामला अभी लंबित रह गया, जिसमें उसे सजा तो हो गई थी, लेकिन कोली की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी. उसमें भी अब फैसला आ गया है.

क्या झूठे थे सभी सबूत?

देश के इस बहुचर्चित मामले में सीबीआई का फेल होने केंद्रीय जांच एजेंसी की कार्यशैली पर सवाल उठाता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि सीबीआई लगाए गए आरोपों को प्रमाणित नहीं कर पाई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सीबीआई से सारे सबूत गढ़े खुद थे? क्या कोली बेचारा था, जिसे पुलिस और सीबीआई ने फंसाया. यदि ऐसा है तो फिर सवाल उठता है कि इस जघन्य हत्याकांड का असली अपराधी कौन है?