पढाई की टेंशन या करियर का प्रेशर… 29 दिन में 2 छात्रों ने लगाई फांसी, क्या है शारदा यूनिवर्सिटी में सुसाइड का सच?
शारदा यूनिवर्सिटी में एक महीने के अंदर दो छात्रों की आत्महत्या ने हड़कंप मचा हुआ है. पहली घटना में, एक छात्रा ने फैकल्टी पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सुसाइड किया था. वहीं इस घटना में शिवम ने सिस्टम की कमियों को ज़िम्मेदार ठहराया है. इन दोनों घटनाओं से यूनिवर्सिटी प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में एक महीने में ही दो छात्रों की सुसाइड से हड़कंप मच गया है. बड़ा सवाल यह है कि यहां एक के बाद एक छात्र जान देने पर क्यों तुले हैं. अभी 29 दिन पहले ही गुरुग्राम की एक छात्रा ने सुसाइड कर लिया था. उसने तो सीधे फेकेल्टी मेंबर पर आरोप लगाए थे, लेकिन अब बिहार के छात्र ने सुसाइड किया है. इसने अपनी मौत के लिए खुद को ही जिम्मेदार बताया है.
हालांकि उसने अपने सुसाइड नोट में पुलिस एवं समाज के लिए एक बड़ा सवाल छोड़ दिया है. उसने सुसाइड नोट में लिखा है कि इस एजुकेशन सिस्टम के लायक ही नहीं है. उसने लिखा है कि वह ना तो बढ़िया छात्र बन पाया और ना ही अच्छा बेटा. उसने अपने पिता को संबोधित सुसाइड नोट में माफी मांगते हुए लिखा है कि वह उनके बुढ़ापे का मददगार नहीं बन सका. इससे जाहिर होता है कि सुसाइड करने वाले छात्र शिवम के सपने तो बड़े थे, लेकिन इसमें आने वाली चुनौतियों से वह लड़ नहीं पाया.
क्या है सुसाइड की वजह
शारदा यूनिवर्सिटी में बीते 18 जुलाई को बीडीएस (BDS) सेकेंड ईयर की छात्रा ज्योति जांगड़ा ने सुसाइड किया था. उसका शव हॉस्टल के कमरे में फांसी पर लटका मिला था. ठीक 29 दिन बाद 16 अगस्त को बीटेक (B.Tech) के छात्र शिवम डे का शव पंखे से लटका मिला है. पुलिस को दोनों के ही सुसाइड नोट मिले. ज्योति के कथित सुसाइड नोट में यूनिवर्सिटी के दो फैकल्टी मेंबर पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इस मामले में पुलिस ने दोनों को अरेस्ट भी किया था. हालांकि शिवम के सुसाइड नोट में तो ऐसा कोई आरोप है, लेकिन उसके परिजनों ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं.
ज्योति ने लगाए थे ये आरोप
29 दिन पहले फांसी लगाने वाली छात्रा ज्योति ने अपने कथित सुसाइड नोट में साफतौर पर लिखा था कि “महिंदर सर और शैरी मैम मेरी मौत के लिए जिम्मेदार हैं. मैं चाहती हूं कि वह सलाखों के पीछे जाएं. उन्होंने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. उन्होंने मेरी बेइज्जती की. मैं उनकी वजह से लंबे समय तक तनाव में रही. मैं चाहती हूं कि उन्हें भी यही सब सहना पड़े. मुझे माफ करना.“ जबकि शिवम ने अपने सुसाइड नोट में किसी पर आरोप तो नहीं लगाया है, लेकिन उसने भी एजुकेशन सिस्टम पर सवाल जरूर उठाए हैं.
क्या यूनिवर्सिटी प्रबंधन है जिम्मेदार?
बीटेक के छात्र शिवम कुमार डे के सुसाइड नोट में ज्योति जांगड़ा की तरह किसी पर आरोप तो नहीं है, लेकिन उसकी सुसाइड नोट में सिस्टम पर सवाल उठाया गया है. इसी के साथ उसने खुद को यूजलेस बताते हुए लिखा है कि वह इस सिस्टम के लायक ही नहीं. इसी के साथ उसने यूनिवर्सिटी से आग्रह किया है कि फीस की रकम उसके पिता को लौटा दी जाए. इससे जाहिर होता है कि वह कमजोर आय वर्ग से संबंध रखता था और यहां के खर्चे अफोर्ड नहीं कर पा रहा था. उसने लिखा है कि अगर देश को महान बनाना है तो सही एजुकेशन सिस्टम शुरू करना होगा.
यूनिवर्सिटी ने दी प्रतिक्रिया
बिहार में पूर्णिया जिले के मधुबनी निवासी शिवम की सुसाइड पर यूनिवर्सिटी ने प्रतिक्रिया दी है. कहा कि थर्ड ईयर में प्रमोशन के लिए शिवम का CGPA 5.0 से कम था. इसी वजह से उसे सुधार का मौका दिया गया था. यूनिवर्सिटी ने उसे स्पेशल एग्जाम देने का विकल्प और सिर्फ 40 प्रतिशत फीस पर दोबारा सेकंड ईयर में एडमिशन लेने का ऑफर दिया था, लेकिन शिवम ने दोबारा री-एडमिशन नहीं कराया.
पिता ने उठाए ये सवाल
शिवम के पिता कार्तिक डे के मुताबिक उनका बेटा 2 अगस्त को यूनिवर्सिटी जाने के लिए घर से निकला था. बड़ा सवाल यह कि जब शिवम कॉलेज में नहीं आ रहा था तो हॉस्टल वॉर्डन या यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने उन्हें जानकारी क्यों नहीं दी. जबकि फीस समय पर ली जा रही थी. छात्र संगठन और परिजनों ने कॉलेज मैनेजमेंट की भूमिका पर सवाल उठाया है. कहा कि ज्योति केस में यह पहले ही साफ हो चुका है.