कितना सेफ गंगा एक्सप्रेसवे का सफर? 594 KM में लगे 601 कोरियाई कैमरे, तुरंत मिलेगा एक्सीडेंट-ब्रेकडाउन का अलर्ट
मेरठ से प्रयागराज तक 594 किमी लंबा गंगा एक्सप्रेसवे को ट्रायल के लिए खोलने से पहले सुरक्षा मानकों पर पूरी तरह से कसा जा रहा है. सुरक्षा और सतर्कता के लिए इसपर 601 कोरियाई कैमरे लगाए गए हैं. आधा किमी से अधिक रेंज वाले यह सभी कैमरे 360 डिग्री देखने में सक्षम हैं. बड़ी बात यह कि ये कैमरे केवल इवेंट को रिकॉर्ड ही नहीं करेंगे, बल्कि रियल टाइम में दुर्घटना या ब्रेकडाउन का अलर्ट भी देंगे.
मेरठ से प्रयागराज तक 594 किमी लंबा गंगा एक्सप्रेसवे ट्रॉयल के लिए तैयार है. देश की सबसे सुरक्षित कही जा रही इस सड़क को ट्रॉयल के लिए खोलने से पहले इसे सुरक्षा के मानकों पर परखा जा रहा है. 594 किमी के इस एक्सप्रेसवे पर कुल 601 कोरियाई कैमरे लगाए गए हैं. ये कैमरे आधा किमी दूर से ही ना केवल नंबर प्लेट पढ़ लेने की क्षमता रखते है, बल्कि इनमें इस्तेमाल की गई तकनीक की वजह से यह अपने रेंज में एक्सिडेंट या ब्रेकडाउन का रियल टाइम अपडेट भी कंट्रोल रूप को देने में सक्षम है. यूपीडा के अधिकारियों की मानें तो इस एक्सप्रेसवे का यह सबसे बड़ा सेफ्टी फीचर है.
अधिकारियों के मुताबिक इस पूरी सड़क को आधुनिक सर्विलांस सिस्टम से लैस किया गया है. इस एक्सप्रेसवे पर लगे कोरियाई कैमरों की रेंज आगे और पीछे 500 मीटर है. ये कैमरे मूवेबल और अत्याधुनिक सेंसरयुक्त हैं. इन कैमरों की स्थापना हरेक किमी पर की गई है. इससे इस एक्सप्रेसवे का चप्पा चप्पा इन कैमरों की नजर में होगा. बड़ी खासियत यह है कि ये कैमरे केवल अपने रेंज में होने वाले इवेंट को रिकॉर्ड ही नहीं करेंगे, बल्कि किसी तरह के एक्सिडेंट या ब्रेकडाउन का अलर्ट तत्काल जीपीएस कोऑर्डिनेट्स के साथ कंट्रोल रूम को भेजेंगे.
क्या होगा फायदा?
अभी यमुना एक्सप्रेसवे पर मथुरा में बड़ा हादसा हुआ था. एक्सप्रेसवे पर घटना स्थल के आसपास कैमरे भी थे, लेकिन कंट्रोल रूप को रियल टाइम अपडेट नहीं मिला था. ऐसे में जब पड़ोस के गांव वाले मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी. इसके बाद राहत टीमें मौके पर पहुंची थी. ऐसे में हादसे में घायल यात्री काफी देर तक तड़पते रहे थे. इस लिहाज से गंगा एक्सप्रेसवे पर लगे कैमरे काफी बेहतर हैं. इन कैमरों के रियल टाइम अलर्ट से तत्काल राहत टीमें एक्टिव हो सकेंगी और घायलों की जान बचाई जा सकेगी. इसी प्रकार ब्रेकडाउन की स्थिति में भी वाहन चालकों को तुरंत मदद मिल सकेगी.
HD और नाइट विजन हैं कैमरे
अधिकारियों के मुताबिक इस एक्सप्रेसवे पर लगाए गए सभी कैमरे हाई-रिजॉल्यूशन और नाइट विजन हैं. सभी कैमरों को एक्सप्रेसवे के दोनों सिरों पर बने कंट्रोल रूम से कनेक्ट किया गया है. 360 डिग्री नजर रखने में सक्षम इन कैमरों की रेंज 500 मीटर है. इन कैमरों से अंधेरे में भी क्लीयर तस्वीरें निकल सकती हैं. एक्सप्रेसवे की किसी भी लेन में यदि कोई वाहन रूकेगा या किसी वाहन का एक्सिडेंट होगा तो इन कैमरों में लगा सेंसर पहचान लेगा और तत्काल एसएमएस अलर्ट कंट्रोल रूम को दे देगा. वही एसएमएस कंट्रोल रूप से डायवर्ट होकर आसपास में गश्त करने वाली टीम को मिलेगा. इससे तत्काल सहायता टीम मौके पर पहुंच सकेगी.
ओवरस्पीड का ऐसे होगा चालान
इस सिस्टम को पुलिस के सर्विलांस नेटवर्क से भी जोड़ा जा रहा है. इससे अपराधियों की धरपकड़ में मदद मिलेगी. इसके अलावा 150 किमी से भी अधिक स्पीड वाले वाहनों को हर किमी पर चिन्हित कर ई-चालान किया जा सकेगा. कैमरों की गुणवत्ता अच्छी होने की वजह से एक्सप्रेसवे के किसी भी एंट्री पॉइंट या टोल प्लाजा पर वाहनों को रूकने की जरूरत नहीं होगी. गंगा एक्सप्रेसवे पर कार्यदायी संस्था आईआरबी के सीजीएम अनूप सिंह के मुताबिक गंगा एक्सप्रेसवे का हर कोना आधुनिक तकनीक की निगरानी में है. इससे यात्रियों को सुरक्षित, तेज और निर्बाध सफर मिलेगा.
