पुरखों की मुक्ति में ड्रेस कोड पर विवाद, संगम में भगवा कपड़े पहनकर आए श्रद्धालु
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम में पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान शुरू हो गया है. इसकी शुरुआत 7 सितंबर से हुई है. लेकिन, इस बार यहां पर इसकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि श्राद्ध कर्म के दौरान भगवा रंग के कपड़े पहने गए हैं. जबकि, ग्रंथों और पुराणों में सफेद रंग के कपड़े पहनने की बात कही गई है.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पितरों की तृप्ति और मुक्ति के पखवारे पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है. संगम नगरी प्रयागराज को पितरों का मुख माना गया है इसलिए सबसे पहले यहीं पिंड दान किया जाता है. प्रयागराज में श्राद्ध कर्म करने आ रहे लोगों के वस्त्र विधान को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है.
लाल रंग के कपड़े पहनकर श्राद्ध कर्म करने आए लोग
पितृ पक्ष के पहले दिन प्रयागराज में बड़ी संख्या में लोग अपने पुरखों के लिए पिंडदान करने पहुंचे. लेकिन, इस बार पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने आए बहुत से लोगों ने जिस लाल या भगवा रंग के कपड़े पहन रखे थे. उसे लेकर तीर्थ पुरोहितों और शास्त्र के जानने वालो के बीच विवाद खड़ा हो गया है.
हिंदू शास्त्रों के जानकार इसे शास्त्र निषेध बताते हैं. शास्त्र के जानकार आचार्य गिरिजा शंकर शास्त्री का कहना है कि पितृ पक्ष के श्राद्ध कर्म में वस्त्र का विधान शास्त्रों में बहुत स्पष्ट रूप से वर्णित है. वस्त्र न केवल शुचिता का प्रतीक है, बल्कि यह पितरों के प्रति श्रद्धा और शुद्ध आचरण का भी द्योतक है. गरुड़ पुराण और धर्मसिंधु में उल्लेख है कि पितरों का तर्पण करते समय शुद्ध, सादे और धवल वस्त्रों का ही उपयोग करना चाहिए.
मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति में भी श्राद्ध-कर्म में शुचिता और वस्त्र की सादगी को अनिवार्य बताया गया है. लाल रंग – शक्ति, कामना और उत्सव का प्रतीक है. इसे सामान्यतः विवाह, उत्सव और मंगल कार्यों में उपयोग किया जाता है. श्राद्ध-कर्म निःस्वार्थ, शांति और वैराग्य की भावना से किया जाता है. यहां सादगी और शुचिता आवश्यक है, न कि आडंबर या रंग-बिरंगे परिधान.
श्राद्ध कर्म के लिए क्या है शास्त्र विधान
हिन्दू धर्म से जुड़े कर्मकांड के ग्रंथों, पुराणों और स्मृतियों में अन्य कर्मकांडो की तरह ही श्राद्ध कर्म करने वालों के लिए भी एक वस्त्र संहिता निर्धारित है. श्राद्ध करने वाले के लिए श्वेत वस्त्र (सफेद कपड़े) पहनना श्रेष्ठ माना गया है. वस्त्र साफ़, बिना रंगाई-चुनाई के, बिना डिज़ाइन वाले होने चाहिए. रेशमी या ज्यादा आडंबरयुक्त वस्त्र वर्जित हैं. इतना ही नहीं श्राद्ध कराने वाले ब्राह्मणों (श्राद्ध में आमंत्रित) के लिए उन्हें भी यथासंभव सफेद या पीले वस्त्र पहनने की सलाह दी गई है. गेरुआ, रेशमी या चमकदार कपड़े पहनने पर रोक है. श्राद्ध के लिए सबसे उपयुक्त- सफेद, बिना छपाई/डिज़ाइन के कपड़ों को सही माना गया है.
तर्पण के लिए भी वस्त्र विधान
तर्पण के लिए जजमान को जो वस्त्र धारण करने है उसका भी विधान ग्रंथों में है. तर्पण हमेशा सफेद रंग के गीले वस्त्रों में किया जाता है. कर्मकांडो के जानकार पंडित ब्रजेश मिश्रा बताते हैं कि पितरों को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र नए, स्वच्छ और बिना सिले (धोती/उत्तरीय जैसे) होने चाहिए. इतना ही नहीं श्राद्ध में दिया जाने वाला कपड़ा आमतौर पर सफेद या कच्चा पीला (हल्दी-रंगा हुआ) होता है. यदि सामर्थ्य न हो तो धोकर शुद्ध किया हुआ वस्त्र भी दिया जा सकता है. काले, नीले, लाल जैसे गहरे या अशुभ रंग के कपड़ों को देने पर मनाही है.