योगी सरकार को बड़ी राहत, सरकारी स्कूलों का मर्जर रहेगा जारी, 51 बच्चों की याचिका खारिज

हाईकोर्ट ने स्कूलों के मर्जर के खिलाफ 51 बच्चों की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार को बड़ी राहत मिली है. इसी के साथ साफ हो गया है कि स्कूलों के मर्जर का कार्यक्रम बदस्तूर जारी रहेगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकारी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ 51 बच्चों की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार को बड़ी राहत मिली है. इसी के साथ साफ हो गया है कि स्कूलों के मर्जर का कार्यक्रम बदस्तूर जारी रहेगा. उधर, स्कूलों के मर्जर के खिलाफ अलग अलग स्थानों पर शिक्षक संगठन एवं अन्य लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के 5 हजार से अधिक स्कूलों के मर्जर की योजना के खिलाफ सीतापुर के 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी. इन बच्चों ने अलग अलग तर्क देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की इस योजना पर रोक लगाने की मांग की थी. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने की.

तीन दिन पहले कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. वहीं सोमवार की दोपहर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया है.

याचिकाकर्ताओं के ये थे तर्क

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्रा ने दलीलें पेश की थी. उन्होंने कहा कि स्कूलों को मर्ज करने को लेकर सरकार का ये फैसला राइट टू एजुकेशन एक्ट के खिलाफ है. इसके लिए उन्होंने तर्क दिया कि ये निर्णय बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला है. इसे लेकर उन्होंने तर्क दिया था कि संसद द्वारा बनाए गए कानून को राज्य सरकार कैसे बदल सकती है?

बताई समस्याएं

याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि स्कूलों के मर्जर से बच्चों को अपने घर से 2-3 किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधाओं की कमी और संसाधनों के अभाव के चलते ये की शिक्षा में बड़ी बाधा बन सकता है. RTE के तहत, 300 की आबादी वाले क्षेत्र में एक किलोमीटर के दायरे में स्कूल होना अनिवार्य है. याचिकाकर्ताओं ने इसे सरकार के फैसले के खिलाफ प्रमुख तर्क के रूप में पेश किया था.

सरकार ने कही थी ये बात

राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेशिया ने कोर्ट में पक्ष रखा था. उन्होंने कहा था कि सरकार की मंशा स्कूलों को बंद करने की नहीं है, बल्कि संसाधनों के बेहतर उपयोग और प्रबंधन के लिए ये कदम उठाया गया है. उनके मुताबिक प्रदेश में 58 ऐसे स्कूल हैं जहां एक भी बच्चे का नामांकन नहीं है. इन स्कूलों को बंद करने के बजाय, इनका उपयोग दूसरे सरकारी कामों के लिए किया जाएगा.

कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित

गुरुवार को सरकार की तरफ से जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का अतिरिक्त समय मांगा था, जिसके बाद शुक्रवार को बहस पूरी हुई. जस्टिस पंकज भाटिया ने सुनवाई के बाद मौखिक रूप से आदेश दिया था कि स्कूल मर्जर की प्रक्रिया में कोई कार्रवाई तब तक नहीं की जाएगी, जब तक कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आ जाता.

और अब कोर्ट ने इसे लेकर अपना फैसला सुना दिया है, जिसके तहत स्कूलों के मर्जर को लेकर सरकार के कदम को हरी झंडी मिल गई है.