प्रयागराज: 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग की करानी होगी सेफ्टी ऑडिट, जारी हुई नई गाइडलाइन; जानें क्या है वजह
प्रयागराज में 15 मीटर से ऊंची इमारतों के लिए अब हर पांच साल में संरचनात्मक सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य कर दिया गया है. यह फैसला शहर में ऊंची इमारतों में सुरक्षा खामियों और आग लगने की घटनाओं को देखते हुए लिया गया है. ऐसी इमारतें जो 10 साल पहले बनाई गई थीं, उनका सुरक्षा ऑडिट हर 5 साल में कराया जाना चाहिए.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में ऊंची इमारतों को ज्यादा सुरक्षित किए जाने की तैयारी है. नए निर्देश के तहत इन इमारतों के लिए संरचनात्मक सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य कर दिया गया है. नए दिशा निर्देशों के मुताबिक, 15 मीटर से ऊंची इमारतों को अब निर्माण के 10 साल बाद और उसके बाद हर पांच साल में एक बार सुरक्षा ऑडिट करवाना होगा. यह शहर भर की कई बहुमंजिला इमारतों में सुरक्षा खामियों और आग लगने की घटनाओं को लेकर चिंताओं के बाद किया गया है.
पिछले दो दशकों में प्रयागराज में कई ऊंची इमारतें बनी हैं. हालांकि, इनमें से ज़्यादातर का निर्माण पूरा होने के बाद कभी कोई औपचारिक सुरक्षा जांच नहीं हुई. पहले, इमारतों के निर्माण के समय किसी संरचनात्मक इंजीनियर से केवल एक बार अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना जरूरी होता था. उसके बाद कई इमारतों की सुरक्षा की जांच नहीं की गई, जिससे वहां रहने वाले लोगों के लिए खतरा बना रहा.
खामियों के बाद भी मिली मंजूरी
शहर की कई इमारतों को संरचनात्मक खामियों के बावजूद, मंजूरी मिल गई. इनमें से कई इमारतों में अग्नि सुरक्षा के उपाय काम नहीं कर रहे थे, बस दिखावे के लिए रह गए. यहां तक कि हाई कोर्ट के पास महाधिवक्ता कार्यालय और इंदिरा भवन (जिसमें स्वयं विकास प्राधिकरण स्थित है) जैसी सरकारी इमारतों में भी बड़ी आग लगने की घटनाएं हुईं, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक घटना की जांच की गई.
सुरक्षा ऑडिट कैसे होगा?
अब नए सुरक्षा नियमों के तहत, संरचनात्मक दरारों या सुरक्षा जोखिमों वाली किसी भी इमारत के मालिक, बिल्डर या रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को तुरंत ऑडिट कराना होगा. 50 मीटर से ज्यादा ऊंची इमारतों के लिए केवल प्राधिकरण में रजिस्ट्रेशन विशेषज्ञ स्ट्रक्चरल इंजीनियर ही ये ऑडिट कर सकते हैं.
ऑडिट रिपोर्ट स्थानीय विकास प्राधिकरण को प्रस्तुत करनी होगी. यदि ऑडिट के दौरान कोई जोखिम पाया जाता है, तो संबंधित पक्षों – मालिकों, बिल्डरों या आरडब्ल्यूए को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर उन्हें ठीक करना होगा. ऐसा न करने पर अधिकारियों को खुद मरम्मत या फिर से निर्माण कराने की अनुमति मिल जाएगी और लागत भवन मालिकों या उनके संघों से वसूल की जाएगी.



