कहानी उस किले की, जो कभी मुग़ल, तुर्की और अंग्रेज़ों का था ठिकाना

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के गंगोह में 500 साल पुराना लखनौती किया है. ये मुगलकाल के समय का है. इसे उस समय का भूलभुलैया भी कहा जाता है.ये किला 1857 क्रांति और मुगल-पठान संघर्ष का गवाह रहा है. ऐसे में यहां से कई अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं. ऐसे में इस किले का संरक्षण किया जाना चाहिए. ताकि, ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित किया जा सके.

लखनौती का किला

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले ने अपनी पुरानी विरासत को आज भी संजोए हुए है. यहां पर आज भी हजारों साल पुरानी इमारतें मौजूद हैं जो कि खंडहर में तब्दील हो चुकी है. उन्हीं में से एक है भूल-भुलैया के नाम से जाने-जाने वाली लगभग 500 साल पुरानी इमारत जो कि सहारनपुर के कस्बा गंगोह के लखनौती में स्थित है. इसे लखनौती का किला भी कहा जाता है. यह किला मुगल क़ालीन भूल-भुलैया है. सहारनपुर में मौजूद है मुगलकालीन भूल-भुलैया एवं किला, कोर्ट के आदेश पर अब कब्जा मुक्त होगा.

पहले इसमें ऊपर इमारत में जाने के लिए अंदर ही अंदर चार सीढ़ीदार रास्ते थे, जिनको लोग अक्सर भूल जाया करते थे. किन्तु अब यह भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है. लखनौती के इस किले को लेकर कहा जाता है कि 1857 की क्रांति के दौरान यहां कई स्वतंत्रता सैनानी भी आकर रुका करते थे. इसके अलावा इस किले में लंबे अरसे तक अंग्रेज अफसर भी रहा करते थे.

यमुना नदी किनारे बसा है ये किला

लखनौती का पुराना नाम लक्ष्मणावती भी बताया जाता है. इतिहासकार राजीव उपाध्याय यायावर बताते हैं कि प्राचीन काल से ही यह क्षेत्र यमुना के किनारे होने के कारण बहुत अहम रहा है. पश्चिम दिशा से होने वाले आक्रमण की दृष्टि से सरसावा के बाद इसी क्षेत्र का महत्व बहुत ज्यादा है. 1526 में जब बाबर ने भारत पर आक्रमण किया था तो उसका पहला पड़ाव यमुना पार करने के बाद सरसावा में लगा था और सरसावा से ही इब्राहिम लोदी की सेना को हराने के लिए उसकी सेना दो भागों में से होकर लखनौती के आसपास क्षेत्र से गुजरी थी.

यहां पर किया जाना चाहिए उत्खनन

हुमायूं को शेरशाह सूरी ने पराजित किया था जो कि एक पठान था और जब शेरशाह सूरी नहीं रहा तो हुमायूं ने भारत पर फिर से आधिपत्य कर लिया था. खनौती के किले के विषय में मुगलों और पठानों दोनों पक्षों का दावा है. ऐसे में जब तक किले के भीतर पुरातत्व विभाग द्वारा समुचित उत्खनन कर जानकारी अर्जित नहीं की जाती तब तक किसी भी दावे को स्वीकार करना सही नहीं है.

अधिकार की दृष्टि से पठान भी कहते हैं कि पूर्व काल में यह किला पठानों के कब्जे में था, मुगल भी कहते हैं कि यह मुगलों के कब्जे में था और अंग्रेजों ने तो बहुत समय इसके पर अपना कब्जा बनाए रखा था. लखनौती कई ऐतिहासिक दृष्टियों से महत्वपूर्ण है, हां कई प्राचीन हुजरे हैं, जिन्हें संरक्षण की दरकार है.अब इस किले में हुए कब्जो को कोर्ट ने हटाने का आदेश दिया है माना जा रहा है कि अवैध कब्जे हटाने के बाद पुरातत्व विभाग इसे पूरी तरह अपने संरक्षण में लेकर यहां उत्खनन कर सकता है जिसके बाद कई और रोचक जानकारी मिल सकती है.