सहारनपुर के उस मंदिर की कहानी जिसे दुर्योधन ने बनाया, कृष्ण भी यहां आए!

महाभारत काल से स्थापित बाबा भोलेनाथ का मंदिर सहारनपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर बरसी गांव में स्थित है. बताया जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान इस मंदिर को दुर्योधन ने रातों रात बनाया था. सुबह जब इस मंदिर को पांडु पुत्र भीम ने देखा तो उन्होंने अपने गदा से इस मंदिर का […]

सहारनपुर के बरसी गांव और वहां के एक मंदिर की दिलचस्प कहानी

महाभारत काल से स्थापित बाबा भोलेनाथ का मंदिर सहारनपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर बरसी गांव में स्थित है. बताया जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान इस मंदिर को दुर्योधन ने रातों रात बनाया था. सुबह जब इस मंदिर को पांडु पुत्र भीम ने देखा तो उन्होंने अपने गदा से इस मंदिर का मुख्य दरवाजा घुमा दिया था. पूरे देश में यही एक मंदिर है, जिसको जब भीम ने अपने गदा से घुमाया तो ये पश्चिम मुखी हो गया.

इस मंदिर के अंदर स्वयंभू शिवलिंग है. जिसके दर्शन के लिए पूरे भारत से लोग शिवरात्रि और अन्य आयोजनों पर यहां पहुंचते हैं. इस गांव का नाम बरसी पड़ने के पीछे भी एक दिलतस्प कहानी है. महाभारत के दौरान जब भगवान श्री कृष्ण इस जगह आए तो यहां की सुंदरता देखकर उन्होंने इस गांव की तुलना बृज से भी की थी, जिसके बाद इस गांव का नाम बरसी पड़ा था. सिर्फ इतना ही नहीं, इस मंदिर से जुड़ी और भी कुछ कहानियां हैं.

6 हजार बरसों से होलिका दहन नहीं होता

गांव के लोग बताते हैं कि करीब 5 या 6 हजार सालों से इस गांव में होलिका दहन नहीं हुआ. इस गांव के लोगों को होलिका पूजन और होलिका दहन के लिए नजदीक के ही दूसरे गांव जाना पड़ता है. गांव के लोगों का कहना है कि हमारे गांव के इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ साक्षात निवास करते हैं और वो विचरण भी करते हैं. होलिका दहन के बाद जमीन गर्म हो जाती है, जिससे भोलेनाथ के पैर जल सकते हैं. इसी के चलते हजारों साल से इस गांव में होलिका दहन नहीं होता. गांव के लोगों का कहना है कि ये परंपरा आगे भी ठीक इसी तरह जारी रहेगी.