संभल के 13 पुलिसवालों पर FIR का आदेश, फेक एनकाउंटर करने का लगा था आरोप

संभल पुलिस ने 7 जुलाई 2022 में मुठभेड़ के दौरान ओमवीर, धीरेंद्र और अवनेश को गिरफ्तार किया था. उस दौरान इस एनकाउंटर के फेक होने का आरोप भी संभल पुलिस पर लगा था. अब कोर्ट ने इस मामले में 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर का आदेश दे दिया है.

संभल कोर्ट ( फाइल फोटो)

संभल में एक फर्जी मुठभेड़ के मामले में कोर्ट ने 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफाआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया है. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस ने जिस दिन लूट की घटना को दर्शाया है उस दिन आरोपी एक अन्य मुकदमे के मामले में जिला कारागार बदायूं में बंद था.

न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि प्रारंभिक तौर पर यह नजर आता है कि कुछ पुलिसकर्मियों षडयंत्र का सहारा लेते हुए गलत तरीके से जांच की. साथ ही अपने पद का दुरुपयोग भी किया और दस्तावेजों में जालसाजी की है. कोर्ट ने कहा कि लोकसेवकों को गैरकानूनी काम के लिए संरक्षण प्राप्त नहीं है. इस तरीके के मामले में एफआईआर दर्ज करना बेहद जरूरी है. कोर्ट ने थानाध्यक्ष बहजोई को तुरंत एफआईआर दर्ज कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है.

क्या है मामला?

बता दें थाना बहजोई में 7 जुलाई 2022 में मुठभेड़ के दौरान ओमवीर, धीरेंद्र और अवनेश को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन ओमवीर को जब न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तो उसने सीओ गोपाल सिंह के ऊपर फेक एनकाउंटर करने का आरोप लगा दिया था. लेकिन कोर्ट ने उन्हें इस मामले में राहत दी है. दरअसल, सीओ गोपाल सिंह का ट्रांसफर जनपद संभल से 18 जून 2022 को किया जा चुका था. वहीं, मुठभेड़ की घटना 7 जुलाई 2022 को हुई. फिलहाल, आगरा की पीएसी लाइन में तैनात हैं.

इनके FIR दर्ज करने का आदेश

अदालत ने तत्कालीन बहजोई स्टेशन हाउस ऑफिसर पंकज लावनिया, क्राइम इंस्पेक्टर राहुल चौहान, सब-इंस्पेक्टर प्रबोध कुमार, नरेश कुमार, नीरज कुमार और जमील अहमद, कांस्टेबल वरुण, आयुष, राजपाल, मालती चौहान और दीपक कुमार, हेड कांस्टेबल रूप चंद्र और एक अन्य पुलिसकर्मी, दुर्वेश के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है.

कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी पुलिस

वहीं, बहजोई सर्किल ऑफिसर प्रदीप कुमार सिंह बताया कि पुलिस को अभी तक कोर्ट का आदेश नहीं मिला है. हमें इसके बारे में मीडिया से पता चला है. संभल के पुलिस सुपरिटेंडेंट कृष्ण कुमार ने कहा कि फिलहाल, पुलिस FIR दर्ज नहीं करेगी और कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी.

पुलिस पर क्यों उठे सवाल?

दरअसल, 25 अप्रैल को लूट की एक घटना होती है. इसी लूट को लेकर 7 जुलाई 2022 को पुलिस ने एक मुठभेड़ में ओमवीर को गिरफ्तार किया था. लेकिन इस मामले में सबसे बड़ा पेंच ये है कि ओमवीर 11 अप्रैल 2022 से 12 मई 2022 तक जिला कारागार बदायूं में बंद था. उसकी जमानत 26 अप्रैल 2022 को मंजूर हुई थी और वह 12 मई 2022 को जेल से रिहा हुआ. ऐसे तथ्यात्मक रूप से ओमवीर का इस लूट की घटना में शामिल होना संभव नहीं है. यह तथ्य सामने आने के बाद ही पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का सवाल उठना शुरू हो गया.