पठान-तुर्क संघर्ष और बाबर का जिन्न… संभल हिंसा की गोपनीय रिपोर्ट में क्या है?
संभल में हुई हिंसा की जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट में आजादी के बाद से संभल में हिंदू आबादी में भारी कमी आई है. साथ ही पठान-तुर्क समुदायों के बीच पुरानी रंजिश को भी हिंसा का कारण बताया गया है. जो सांसद जिया-उर-रहमान बर्क के बयान के बाद आमने-सामने आ गए थे.

संभल में सर्वे के दौरान भड़की हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने अपनी 450 पन्नों की गोपनीय रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. इस रिपोर्ट ने संभल की सांप्रदायिक स्थिति, डेमोग्राफी बदलाव और आतंकवादी गतिविधियों को लेकर सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. दावा है कि आजादी के बाद से संभल में हिंदू की आबादी में 30 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है.
संभल को लेकर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट से प्रदेश और देश की राजनीति में भूचाल आने की संभावना है. रिपोर्ट के अनुसार, आजादी के बाद से संभल में कुल 15 बड़े दंगे हुए. इन दंगों में हिंदूओं को मुख्य रूप से निशाना बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी आबादी में भारी कमी आई. साथ ही संभल में पठान और तुर्क समुदायों के बीच पुरानी रंजिश को भी हिंसा का एक प्रमुख कारण बताया गया है.
15 दंगे, हिंदूओं की आबादी 15% पहुंची
24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हिंसा भड़की थी. इसके बाद जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन हुआ था. रिपोर्ट के अनुसार, संभल में आजादी के बाद से अब तक 15 बड़े दंगे हुए, जिनमें 1947, 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001 और 2019 शामिल हैं. इन दंगों में हिंदूओं को मुख्य रूप से निशाना बनाया गया.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आजादी के समय संभल नगर पालिका क्षेत्र में 45% हिंदू और 55% मुस्लिम आबादी थी. वर्तमान में यह अनुपात बदलकर 15-20% हिंदू और 85% मुस्लिम हो गया है. इस डेमोग्राफिक बदलाव का कारण दंगों के साथ-साथ तुष्टिकरण की राजनीति को बताया गया है. सूत्रों के अनुसार, 24 नवंबर 2024 की हिंसा में भी हिंदूओं को निशाना बनाने की योजना थी, लेकिन पुलिस की सख्ती और हिंदू बहुल इलाकों में उनकी मौजूदगी के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान टल गया.
पठान-तुर्क संघर्ष और बाबर का जिन्न
रिपोर्ट में संभल में पठान और तुर्क समुदायों के बीच पुरानी रंजिश को हिंसा का एक प्रमुख कारण बताया गया है. 24 नवंबर 2024 की हिंसा में इन दोनों समुदायों के बीच क्रॉस-फायरिंग में चार लोगों की मौत हुई थी. यह हिंसा संभल के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क के 22 नवंबर 2024 को दिए गए विवादित बयान, ‘हम इस देश के मालिक हैं, बाकी नौकर और गुलाम’ के बाद भड़की थी.
इस बयान का कन्वर्टेड हिंदू पठानों ने विरोध किया, जिसके बाद तुर्क और पठान आमने-सामने आ गए थे. वहीं, रिपोर्ट में हरिहर मंदिर को लेकर भी सनसनीखेज दावा किया गया है. मंदिर के अस्तित्व के साक्ष्य मिलने से एक बार फिर बाबर-युग से जुड़े विवाद ने जोर पकड़ा है. सूत्रों का कहना है कि संभल में 68 तीर्थ स्थल और 19 पावन कूप थे, जिन्हें तुष्टिकरण की राजनीति के चलते कब्जा लिया गया.
दंगों में विदेशी हथियारों का हुआ इस्तेमाल
रिपोर्ट में संभल को आतंकवादी संगठनों का अड्डा भी बताया गया है. अल-कायदा और हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे संगठनों ने यहां अपनी जड़ें जमा ली हैं. अमेरिका ने संभल के मौलाना आसिम उर्फ सना-उल-हक को आतंकवादी घोषित किया था. इसके अलावा, दंगों में विदेशी हथियारों (यूके, यूएसए, और जर्मनी निर्मित) का इस्तेमाल होने के साक्ष्य भी आयोग को मिले हैं.
आयोग ने अपनी जांच पूरी कर संभल हिंसा की ये रिपोर्ट 28 अगस्त 2025 को मुख्यमंत्री को सौंपी है. वहीं, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने कहा कि न्यायिक आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन कर आगे की कार्रवाई की जाएगी. संभल हिंसा की यह रिपोर्ट न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी गहरे प्रभाव डाल सकती है.