15 दंगे, 45% से घटकर 15% हो गई हिंदू आबादी… संभल पर आई रिपोर्ट में क्या-क्या खुलासा हुआ?
उत्तर प्रदेश में संभल हिंसा के न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट के आंकड़े होश उड़ाने वाले हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, यहां पर दंगों की साजिश जानबूझकर रची गई. इन दंगों में हिंदुओं को निशाना बनाया जाना था. 1947 से हो रहे दंगों की वजह से यहां के हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत हो गई है.
उत्तर प्रदेश में सम्भल हिंसा पर बनाई गई न्यायिक जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. इस सनसनीखेज रिपोर्ट ने देश और प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने की तैयारी कर ली है. सूत्रों के हवाले से सामने आई इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सम्भल में दंगों की साजिश रची गई थी, जिसमें हिंदुओं को निशाना बनाने की योजना थी. हालांकि, पुलिस की सतर्कता और हिंदू मोहल्लों में सुरक्षा के कारण इस बार हिंदू बच गए.
दंगे की वजह कम हुई हिंदुओं की संख्या
रिपोर्ट के अनुसार, 1947 से सम्भल में 15 दंगे हो चुके हैं, जिनमें 1947, 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001 और 2019 शामिल हैं. इन दंगों ने शहर की जनसांख्यिकी को पूरी तरह बदल दिया. आजादी के समय सम्भल नगर पालिका क्षेत्र में 45% हिंदू और 55% मुस्लिम आबादी थी, लेकिन अब यह अनुपात बदलकर 85% मुस्लिम और मात्र 15% हिंदू रह गया है. दंगों और तुष्टिकरण की राजनीति ने इस बदलाव को और तेज किया.
कैसे भड़के दंगे?
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि सम्भल में तुर्क और पठान समुदायों के बीच पुरानी रंजिश ने दंगों को और भड़काया. बाहरी बलवाइयों को बुलाकर हिंसा को अंजाम देने की साजिश रची गई थी. इसके अलावा, सम्भल को आतंकवादी संगठनों जैसे अलकायदा और हरकत-उल-मुजाहिद्दीन का अड्डा बताया जा रहा है. संभल के ही रहने वाले मौलाना आसिम उर्फ सना उल हक को अमेरिका द्वारा आतंकवादी घोषित किया जा चुका है.
संभल में अवैध हथियार और नारकोटिक्स गैंग भी सक्रिय हैं. हरिहर मंदिर को लेकर बाबर का जिन्न फिर से चर्चा में है. यह लीक रिपोर्ट सम्भल के इतिहास, डेमोग्राफी और आतंकी गतिविधियों पर गंभीर सवाल उठा रही है. इसका राजनीतिक प्रभाव आने वाले समय में और गहरा सकता है.
जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई थी हिंसा
संभल में हिंसा 24 नवंबर 2024 को हुई थी. यह हिंसा शाही जामा मस्जिद के कोर्ट द्वारा आदेशित सर्वे के दौरान भड़की, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल काल में कथित रूप से ध्वस्त किए गए हरिहर मंदिर के खंडहरों पर हुआ था. सर्वे के दूसरे चरण में मस्जिद के वुज़ू खाने को खाली करने की अफवाह फैली, जिससे स्थानीय लोगों में गुस्सा भड़का. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में पथराव, आगजनी और फायरिंग हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए. पुलिस ने इसे सुनियोजित साजिश बताया.
इस मामले में योगी सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था. इसमें हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस देवेंद्र अरोड़ा को बतौर अध्यक्ष शामिल किया गया था. इसके अलावा रिटायर्ड एके जैन और अमित प्रसाद सदस्य के रूप में शामिल किए गए थे. करीब 8 महीने की जांच के बाद न्यायिक जांच आयोग ने आज अपनी 450 पेज की रिपोर्ट आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है.