वोटर लिस्ट में कैसे जुड़े 48 फर्जी नाम? पंचायत चुनाव से पहले संभल में फूटा ‘वोट बम’, FIR दर्ज

उत्तर प्रदेश के संभल में पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. बिलालपत गांव में 48 लोगों ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाया. शिकायत पर जिलाधिकारी के निर्देश के बाद जांच हुई और आरोप सही पाए गए. लेखपाल की तहरीर पर सभी 48 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है, और पुलिस गहन जांच कर रही है.

खुलासे के बाद बैठक करते डीएम संभल

पंचायत चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के संभल में फर्जी वोट कांड का खुलासा हो गया है. यहां बिलालपत गांव में 48 लोगों की पहचान की गई है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के सहारे वोटर लिस्ट में अपना नाम डलवा लिया. मामले का खुलासा होने के बाद DM डॉ. राजेंद्र पेंसिया के निर्देश और लेखपाल गुन्नू बाबू की तहरीर पर असमोली थाने में FIR दर्ज कराया गया है. पुलिस ने इस मामले की बड़े स्तर पर जांच शुरू कर दी है.

जानकारी के मुताबिक एक शिकायत आई थी.इस शिकायत के आधार पर DM डॉ. राजेंद्र पेंसिया के निर्देश पर मामले की जांच शुरू हुई. इस जांच के दौरान 48 लोगों पर फर्जी आधार व दस्तावेजों लगाकर मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के आरोप की पुष्टि हुई. इसके बाद डीएम ने तत्काल मुकदमा दर्ज कराने और आरोपियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई के निर्देश दिए. बताया जा रहा है कि असमोली ब्लॉक के ग्राम बिलालपत में रहने वाले ग्रामीणों मोहम्मद कमर और मोहम्मद फारूक ने DM को शिकायत दी थी.

ये है आरोप

अपनी शिकायत में ग्रामीणों ने बताया था कि कुछ लोग BLO को गुमराह कर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी कराए हैं. इसके लिए इन लोगों ने फर्जी दस्तावेज लगाया है. इस शिकायत पर DM ने एक जांच समिति गठन किया और मामले की जांच कराने की जिम्मेदारी दी. इसमें सभी आरोपियों के आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेजों की जांच की गई. इसमें सभी आरोपों की हेराफेरी की पुष्टि हुई. इसके बाद लेखपाल ने थाने में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया है.

इन धाराओं में हुई कार्रवाई

लेखपाल गुन्नू बाबू की तहरीर पर असमोली थाना पुलिस ने सभी 48 आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया है. इन आरोपियों के खिलाफ BNS की धाराओं के अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 31 भी लगाई गई है. उधर, तहसीलदार ने भी पुलिस को इस मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. पुलिस को आशंका है कि यह खुलासा बड़े नेटवर्क और आधार संशोधन से जुड़े फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है.