भगवान बुद्ध के अवशेषों को लेकर रूस पहुंचे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, एलिस्टा शहर में होगा प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य रूस के काल्मिकिया पहुंचे हैं. वह भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को लेकर वहां पहुंचे हैं. काल्मिकिया का एलिस्ता शहर बौद्ध अवशेषों की पहली बार एक प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है. काल्मिकिया के भिक्षुओं ने भारत से इसका अनुरोध किया था.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में एक डेलीगेशन शनिवार को रूस के काल्मिकिया गणराज्य की राजधानी एलिस्ता पहुंचा. उनके साथ भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष भी हैं, जिसे वहां प्रदर्शनी में लगाया जाएगा. डेलीगेशन सहित पवित्र अवशेषों का स्वागत काल्मिकिया के प्रमुख बातू सर्जेयेविच खासिकोव द्वारा किया गया.
एलिस्टा में तीसरे अंतरराष्ट्रीय बौद्ध मंच का आयोजन हो रहा है. यहां पवित्र बौद्ध अवशेषों की पहली बार एक प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है. इससे पहले, काल्मिकिया के भिक्षुओं के प्रतिनिधिमंडल भारत आए थे. और पवित्र अवशेषों को उनके गृहनगर में पूजा और आशीर्वाद के लिए ले जाने का अनुरोध किया था.
बुद्ध शाक्यमुनि मंदिर में अवशेषों का प्रतिष्ठापन
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बीती रात दिल्ली से काल्मीकिया के लिए वायुसेना के एक विशेष विमान से रूस के लिए निकले थे. उड़ान भरने से पहले उन्होंने पालम एयरपोर्ट पर भिक्षुगणों के साथ भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषो का पूजन किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मेरे जीवन का यह सौभाग्यशाली क्षण है.
केशव प्रसाद मौर्य ने अपने एक्स पर भी रूस से फोटो शेयर की है. जहां उन्होंने पवित्र अवशेषों को रूस के एलिस्ता शहर में स्थित गोल्डन अबोड ऑफ द बुद्ध शाक्यमुनि मंदिर में प्रतिष्ठापन करने की बात कही. यह एक महत्वपूर्ण तिब्बती बौद्ध केंद्र है, इसे ‘शाक्यमुनि बुद्ध का स्वर्णिम निवास’ भी कहा जाता है. यह काल्मिक मैदानों से घिरा है.
उत्तर प्रदेश के पिपरहवा से हैं पवित्र अवशेष
मुख्यमंत्री ने पवित्र अवशेषों के साथ मिलने वाले इस मौके के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी धन्यवाद दिया. साथ ही कहा कि यह अवशेष उत्तर प्रदेश के पिपरहवा से हैं, जो कपिलवस्तु की राजधानी हुआ करती थी. इनका लंबा इतिहास है और जिस दिन यह हांगकांग से वापस प्राप्त हुए थे, उसी दिन पीएम ने इसे गर्व का दिन कहा था.
इससे पहले, जुलाई के अंत में पीएम मोदी ने पवित्र रत्न अवशेषों की स्वदेश वापसी का जश्न मनाया था. एक संदेश में उन्होंने कहा, ‘हर भारतीय को इस बात पर गर्व होगा कि भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेष 127 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद स्वदेश (भारत) आ गए हैं.’ बता दें कि हांगकांग में पवित्र अवशेषों की नीलामी की जा रही थी.
पवित्र अवशेष पुरातात्विक रूप से प्रमाणित हैं
संस्कृति मंत्रालय के नेतृत्व में एक कदम के तहत, भारत और दुनिया भर के बौद्धों के बीच धूमधाम और उत्साह के साथ ये अवशेष भारत वापस लाए गए. यह अवशेष पुरातात्विक रूप से प्रमाणित हैं और बौद्ध समुदाय के लिए अत्यंत पूज्यनीय धरोहर हैं. यह भगवान बुद्ध के जीवन से प्रत्यक्ष जुड़ाव का प्रतीक हैं. यह पीपरहवा से प्राप्त हुए.
पीपरहवा में 1898 में खुदाई के दौरान, विलियम क्लैक्सटन पेप्पे ने एक लंबे समय से विस्मृत स्तूप में अस्थियों के टुकड़े और रत्नों से भरे पांच छोटे कलश खोजे. 1971-76 के बीच केएम श्रीवास्तव की टीम को जली हुई हड्डियों से भरा एक संदूक मिला. जो चौथी या 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व निकली. इसी आधार पर ASI ने यूपी के पिपरहवा की पहचान कपिलवस्तु के रूप में की है.