पहले सफाई, फिर कचरे से कमाई; UP के इस गांव ने किया कुछ ऐसा कि देश भर में होने लगी चर्चा

कानपुर के रमईपुर गांव ने कचरे से कमाई का अनोखा मॉडल अपनाकर देशभर में चर्चा बटोरी है. आरआरसी और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना से यह गांव साफ-सफाई के साथ आर्थिक रूप से भी मजबूत हुआ है. ग्राम पंचायत द्वारा नियमित कचरा संग्रहण और प्रसंस्करण से वर्मी कम्पोस्ट और प्लास्टिक के रीसाइकिलिंग से अच्छी आय हुई है. इस सफलता की सराहना प्रधानमंत्री से लेकर जिलाधिकारी तक ने की है.

कानपुर के रमईपुर गांव में लगा कचरा प्लांट

कहते हैं कि यदि लक्ष्य तय कर काम किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. इस बात को साबित किया है कानपुर के रमईपुर गांव ने. एक समय था, जब इस गांव की नालियां चोक होती थी, सड़कों पर कचरा फैला रहता था. आज इस गांव की नालियों में ना तो पानी रूकता है और ना ही सड़कों या गलियों में कचरे का ढेर ही मिलेगा. आलम यह है कि साफ सफाई के मामले में इस गांव की चर्चा ना केवल कानपुर के डीएम, बल्कि यूपी के सीएम और देश के पीएम भी करने लगे हैं. आइए जानते हैं कि आखिर इस गांव में ऐसा क्या बदल गया, जिसकी वजह से यह सुर्खियों में है.

आपको याद होगा कि कोविड के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नारा दिया था आपदा में अवसर. लोगों ने इस नारे का अपने अपने तरीके से अर्थ लगाया और इसके फायदे भी उठाए. कानपुर में विधनू ब्लॉक के गांव रमईपुर की पंचायत ने भी इसका एक अर्थ निकाला और गांव की गंदगी को ही अपनी कमाई का जरिया बना लिया. महज साढ़े तीन सौ परिवारों का यह छोटा सा गांव अब जले में स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक बन गया है. यही नहीं, यहां कचरे से कमाई का रास्ता निकालकर अन्य गांवों के लिए प्रेरणा श्रोत बन गया है.

RRC ने बदली गांव की तस्वीर

इस गांव की तस्वीर बदलने में यहां स्थापित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट और रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) की अहम भूमिका है. जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) मनोज कुमार के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-2 के तहत इस गांव में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना की गई थी. इसके साथ ही यहां आरआरसी सेंटर भी शुरू किया गया. इसमें कुल लागत 16 लाख की आई. अब इस यूनिट ने काम शुरू कर दिया है. इसका परिणाम यह है कि संसाधित प्लास्टिक की बिक्री से इस ग्राम पंचायत को छह हजार की कमाई हुई है. वहीं वर्मी कंपोस्ट से 25 हजार रुपये की आमदनी हुई है. उन्होंने बताया कि यह तो शुरूआती आय है. निकट भविष्य में इस प्रोजेक्ट से गांव की आमदनी और बढ़ेगी.

साढ़े नौ टन कचरा कलेक्शन

जानकारी के मुताबिक बीते कुछ महीने में ही 9.5 टन प्लास्टिक अपशिष्ट इकट्ठा कर बैलिंग और श्रेडिंग किया गया है. इसके लिए ग्राम पंचायत ने नेचर नेक्स्ट फाउंडेशन और स्थानीय कबाड़ियों से भी समझौता किया है. इस कचरे से अब तक 2,000 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया है. फिलहाल गांव के 425 घरों से नियमित रूप से कचरा कलेक्शन हो रहा है. इसके बाद से लोग कचर इधर उधर फेंकने के बजाय खुद एकत्र कर रहे हैं. वहीं पंचायत की गाड़ी जाकर नियमित तौर पर उसे कलेक्ट करती है. इसके लिए गांव के 350 परिवार स्वेच्छा से 30 रुपये मासिक यूजर चार्ज भी जमा कर रहे हैं. इससे पंचायत के खाते में करीब 1.5 लाख रुपये अतिरिक्त जमा हुए हैं.

डीएम से लेकर पीएम तक ने की सराहना

पिछले दिनों प्लांट का निरीक्षण करने डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह गए थे. उन्होंने इस मॉडल की जमकर सराहना की. इस गांव के प्रयास को पूर्व में सीएम योगी सराहा था. वहीं पीएम मोदी ने भी एक बयान में इस गांव का जिक्र किया था. साथ ही अन्य ग्राम पंचायतों को भी स्वच्छता के लिए कुछ ऐसा ही करने की प्रेरणा दी थी. रमईपुर गांव ने यह साबित कर दिया है कि कचरा केवल समस्या नहीं, बल्कि एक अवसर भी हो सकता है.