ज्ञानवापी केस में हिन्दू पक्ष को बड़ा झटका, याचिका खारिज; कोर्ट ने कहा- नहीं बदलेगा वजूखाना का कपड़ा

वाराणसी जिला अदालत से ज्ञानवापी केस में हिन्दू पक्ष को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने वजूखाने के ताले का कपड़ा बदलने की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला दिया. इस फैसले से हिन्दू पक्ष निराश है जबकि मुस्लिम पक्ष संतुष्ट है.

हिन्दू पक्ष की याचिका खारिज

ज्ञानवापी केस में सोमवार को हिन्दू पक्ष को बड़ा झटका लगा है. वाराणसी जिला जज की अदालत ने हिन्दू पक्ष की याचिका खारिज कर दिया. हिन्दू पक्ष ने सील वजूखाने के ताले का कपड़ा बदलने की मांग को लेकर ये याचिका दायर की थी. जिला जज ने इस मांग को ठुकराते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला दिया. इस फैसले से हिन्दू पक्ष निराश है.

वाराणसी जिला जज संजीव शुक्ला की अदालत ने कहा कि वरशिप एक्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. सर्वोच्च अदालत की तरफ से निर्देश है कि इस मामले में न तो कोई नई याचिका स्वीकार की जाएगी और न ही किसी तरह का कोई फ़ैसला दिया जाएगा. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए याचिका खारिज कर दिया.

‘हम इस मामले को लेकर अब प्रशासन के पास जाएंगे’

जिला जज की अदालत ने हिन्दू पक्ष से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सील्ड एरिया को सुरक्षित और संरक्षित रखने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन को दिया है. इस मामले में उनको जिला प्रशासन के पास जाना चाहिए. वहीं, हिन्दू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि फैसले से हमें निराशा मिली है लेकिन हम इस मामले को लेकर अब प्रशासन के पास जाएंगे.

हिन्दू पक्ष से जुड़े याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस मामले में जिला प्रशासन से भी हमें राहत नही मिलती है, तो हम इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष इस फैसले से गदगद है. मुस्लिम पक्ष के वकील अकलाख अहमद ने कहा कि हमें खुशी है कि जिला जज अदालत ने हमारी आपत्ति एडमिट की है.

‘जिला अदालत में याचिका डालने का कोई औचित्य नहीं’

अकलाख अहमद ने कहा, ‘हम शुरू से कह रहे हैं कि इस मामले में राहत चहिए के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर रोक लगा रखी है. जिला अदालत में याचिका डालने का कोई औचित्य नही है. हमने जिला जज को रूबरू करा दिया था कि एक बार जिला अदालत से किसी भी तरह का फ़ैसला आता है तो फिर याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी.’